Poultry Farming: ठंड में फैलती ये ‘खामोश बीमारी’ मिनटों में खत्म कर देती है पूरा फार्म… वजह जानकर हो जाएंगे हैरान!

Poultry Farming Tips: ठंड का मौसम मुर्गा पालन करने वालों के लिए बड़ा खतरा लेकर आता है. हर साल सैकड़ों चूजे “ब्रूडर निमोनिया” नाम की खामोश बीमारी का शिकार हो जाते हैं, जिससे किसान भारी आर्थिक नुकसान झेलते हैं. लेकिन थोड़ी सी सावधानी, सही पोषण और साफ-सुथरा फार्म रखकर आप इस खतरनाक बीमारी से 80 फीसदी तक नुकसान बचा सकते हैं. जानिए कैसे करें अपने चूजों की पूरी सुरक्षा.

Isha Gupta
नोएडा | Published: 6 Dec, 2025 | 06:30 PM
1 / 6ब्रूडर निमोनिया एक फफूंद जनित बीमारी है, जो चूजों के फेफड़ों पर सीधा हमला करती है. शुरुआती अवस्था में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए किसान देर से पहचान पाते हैं. इससे चूजों की मृत्यु दर बढ़ जाती है और व्यवसायी भारी आर्थिक नुकसान उठाते हैं.

ब्रूडर निमोनिया एक फफूंद जनित बीमारी है, जो चूजों के फेफड़ों पर सीधा हमला करती है. शुरुआती अवस्था में इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, इसलिए किसान देर से पहचान पाते हैं. इससे चूजों की मृत्यु दर बढ़ जाती है और व्यवसायी भारी आर्थिक नुकसान उठाते हैं.

2 / 6जहां फार्म बंद होता है और सूरज की रोशनी या हवा का प्रवेश कम होता है, वहां नमी बढ़ती है और फफूंद तेजी से फैलती है. यह वातावरण चूजों के सांस तंत्र में संक्रमण फैलाने के लिए आदर्श होता है, जिससे बीमारी तेजी से फैलती है.

जहां फार्म बंद होता है और सूरज की रोशनी या हवा का प्रवेश कम होता है, वहां नमी बढ़ती है और फफूंद तेजी से फैलती है. यह वातावरण चूजों के सांस तंत्र में संक्रमण फैलाने के लिए आदर्श होता है, जिससे बीमारी तेजी से फैलती है.

3 / 6शुरुआती लक्षणों में चूजा खाना-पीना बंद कर देता है, मुंह खोलकर तेजी से सांस लेता है, धड़-धड़ या सीटी जैसी आवाज आती है और उठाने पर सांस लड़खड़ाती है. यदि किसान समय रहते इन संकेतों पर ध्यान दे, तो नुकसान काफी हद तक टाला जा सकता है.

शुरुआती लक्षणों में चूजा खाना-पीना बंद कर देता है, मुंह खोलकर तेजी से सांस लेता है, धड़-धड़ या सीटी जैसी आवाज आती है और उठाने पर सांस लड़खड़ाती है. यदि किसान समय रहते इन संकेतों पर ध्यान दे, तो नुकसान काफी हद तक टाला जा सकता है.

4 / 6इस बीमारी का फिलहाल कोई ठोस इलाज नहीं है. एक बार चूजा संक्रमित हो जाए, तो मृत्यु लगभग तय होती है. यही कारण है कि इसे मुर्गा पालन में ‘खामोश किलर’ कहा जाता है. इसलिए शुरुआती सावधानी और फार्म की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं.

इस बीमारी का फिलहाल कोई ठोस इलाज नहीं है. एक बार चूजा संक्रमित हो जाए, तो मृत्यु लगभग तय होती है. यही कारण है कि इसे मुर्गा पालन में ‘खामोश किलर’ कहा जाता है. इसलिए शुरुआती सावधानी और फार्म की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैं.

5 / 6चूजों को शुरुआती 10 दिनों में मल्टीविटामिन A और E का सप्लीमेंट देना बेहद जरूरी है. यह उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है. सही पोषण से चूजों की मृत्यु दर कम होती है और उत्पादन सुरक्षित रहता है.

चूजों को शुरुआती 10 दिनों में मल्टीविटामिन A और E का सप्लीमेंट देना बेहद जरूरी है. यह उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है. सही पोषण से चूजों की मृत्यु दर कम होती है और उत्पादन सुरक्षित रहता है.

6 / 6फार्म की रोजाना सफाई करें, बिछावन हमेशा सूखा और साफ रखें. पानी और दाने के बर्तनों की सफाई नियमित करें. जब तक धूप निकल रही हो, चूजों को धूप में रखें और पाले या ठंडी हवाओं के दौरान खुले में बिल्कुल न छोड़ें. इससे फफूंद और संक्रमण का खतरा काफी कम होता है.

फार्म की रोजाना सफाई करें, बिछावन हमेशा सूखा और साफ रखें. पानी और दाने के बर्तनों की सफाई नियमित करें. जब तक धूप निकल रही हो, चूजों को धूप में रखें और पाले या ठंडी हवाओं के दौरान खुले में बिल्कुल न छोड़ें. इससे फफूंद और संक्रमण का खतरा काफी कम होता है.

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Published: 6 Dec, 2025 | 06:30 PM

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