Rabi Sowing: देशभर में रबी सीजन की बुवाई इस बार उम्मीद से कहीं ज्यादा तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही है. खेतों में हलों की आवाज और किसान भाइयों की मेहनत ने इस सीजन की शुरुआत को बेहद उत्साहजनक बना दिया है. मौसम का समर्थन, बेहतर सिंचाई प्रबंधन और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी की उम्मीद ने किसानों के मन में नई ऊर्जा भर दी है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस बार रबी सीजन कई मामलों में पिछले साल से मजबूत साबित हो रहा है.
रबी बुवाई ने पार किया 75 फीसदी का आंकड़ा
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस साल अब तक 479.02 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है. यह संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है. सामान्य रूप से रबी सीजन में जितनी भूमि पर बुवाई होती है, उसका लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा इस समय तक कवर किया जा चुका है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौसम इसी तरह अनुकूल बना रहा, तो यह सीजन उत्पादन के मामले में एक नया रिकॉर्ड बना सकता है.
गेहूं की बुवाई में सबसे बड़ी बढ़त
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, देश में रबी का सबसे महत्वपूर्ण अनाज गेहूं इस बार किसानों की पहली पसंद बनकर उभरा है. अब तक 241.40 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया जा चुका है, जबकि पिछले वर्ष यह क्षेत्र 217.81 लाख हेक्टेयर था. यानी इस बार 11 फीसदी की शानदार वृद्धि देखने को मिली है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अच्छी नमी, मार्च–अप्रैल में ठंडक की उम्मीद और MSP में बढ़ोतरी की संभावना ने किसानों को गेहूं की ओर आकर्षित किया है. वहीं अनुमान है कि दिसंबर के मध्य तक गेहूं की बुवाई सामान्य रकबे 312.35 लाख हेक्टेयर को भी छू सकती है.
सरसों और जौ ने सामान्य क्षेत्र को किया पार
रबी की प्रमुख तिलहनी फसल सरसों लगातार दूसरे साल किसानों की पसंद बनी हुई है. इस बार 79.88 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हुई है, जो पिछले साल से 5 फीसदी अधिक है. कुल तिलहन का क्षेत्र 84.14 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है.
जौ की बुवाई भी सामान्य क्षेत्र से अधिक रही, जो 5.95 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. experts का कहना है कि माल्ट उद्योग की स्थिर मांग और निर्यात की संभावनाओं ने जौ की बुवाई को बढ़ावा दिया है.
दलहनों में चना मजबूती से आगे, मसूर में गिरावट
दलहन क्षेत्र लगभग पिछले वर्ष के बराबर रहा है, लेकिन फसलों के रकबे में महत्वपूर्ण बदलाव दर्ज हुए हैं. चना की बुवाई 77.84 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो 3.6 फीसदी अधिक है. वहीं मसूर का रकबा घटा है और यह 14 लाख हेक्टेयर से घटकर 12.98 लाख हेक्टेयर रह गया है. संभावना है कि किसानों ने गेहूं और सरसों के बेहतर दामों की उम्मीद में मसूर की जगह अन्य फसलों को चुना है.
धान और मक्का की बुवाई में भी तेजी
रबी धान का क्षेत्र इस बार 10.98 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष से 11.4 फीसदी अधिक है. मक्का की बुवाई भी बढ़कर 11.41 लाख हेक्टेयर हो गई है.
मोटे अनाज (ज्वार–बाजरा) में ज्वार का क्षेत्र थोड़ा कम रहा, लेकिन कुल मोटा अनाज वर्ग 36.28 लाख हेक्टेयर के मामूली बढ़त के साथ स्थिर बना है.
सरसों और गेहूं पर सबसे ज्यादा उम्मीदें
सरकार ने इस रबी सीजन के लिए खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य बढ़ाकर 171.14 मिलियन टन कर दिया है. सरसों के लिए अकेले 13.9 मिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है, जबकि गेहूं के लिए लक्ष्य 119 मिलियन टन तय किया गया है.
अन्य प्रमुख लक्ष्यों में शामिल हैं—
धान – 15.86 एमटी
दालें – 16.57 एमटी
मक्का – 14.5 एमटी
जौ – 2.05 एमटी
अगर मौसम और सिंचाई की स्थिति इसी तरह बनी रही, तो इन लक्ष्यों को हासिल करना संभव दिखाई देता है.
जलाशयों में भंडारण सुधरा
रबी सीजन में सिंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू है. देश के 166 प्रमुख जलाशयों में पानी का स्तर 86.41 फीसदी दर्ज किया गया है. यह पिछले वर्ष से 7 फीसदी अधिक है और दीर्घकालिक औसत से 22 फीसदी ऊपर है. हालांकि, यह अभी भी पूर्ण क्षमता से कम है, लेकिन नवंबर में दक्षिण भारत में हुई 47 फीसदी अधिशेष बारिश ने स्थिति को काफी बेहतर बना दिया है.