हिमाचल में सूखे जैसे हालात, औसत से काफी कम हुई बारिश.. रबी फसलों को पहुंच रहा नुकसान

कांगड़ा जिले के निचले इलाकों में लगातार सूखा और बारिश की कमी से रबी फसलों को खतरा है. नदियों और खड्डों में पानी केवल 40 फीसदी बचा है. धौलाधार पर्वतों पर बर्फ नहीं है.जल संकट और जलविद्युत परियोजनाओं पर असर पड़ा है. कृषि विभाग को फसल बचाने की चुनौती है.

Kisan India
नोएडा | Published: 7 Dec, 2025 | 11:47 AM

Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के निचले इलाकों में पिछले दो महीनों में औसत से काफी कम बारिश हुई है. इससे सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है. खेतों से नमी बिल्कुल गायब हो गई और मिट्टी कठोर हो गई है. ऐसे में रबी फसलों को नुकसान पहुंच सकता है. किसानों का कहना है कि अगर समय पर बारिश नहीं होती है, तो पैदावार में गिरावट आ जाएगी. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. खास बात यह है कि बारिश के अभाव में पीने वाले पानी की भी किल्लत हो गई है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट  के मुताबिक, कांगड़ा जिले के निचले इलाकों के किसान दो महीने से लगातार सूखे से परेशान हैं. जिले के कई हिस्सों में बारिश औसत से कम हुई है, जिससे गेहूं की फसल  पर असर पड़ा है. हालांकि, कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल फसल को कोई गंभीर खतरा नहीं है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि दिसंबर, जनवरी और फरवरी में अच्छी बारिश होने से फसल को और नुकसान से बचाया जा सकता है.

नालों का पानी अब सिर्फ 40 प्रतिशत रह गया

आईपीएच विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कांगड़ा घाटी की नदियों और नालों का पानी अब सिर्फ 40 प्रतिशत रह गया है. अगर कुछ और समय तक बारिश नहीं हुई, तो पीने के पानी की समस्या हो सकती है. जिले के कई सिंचाई  चैनल सूख गए हैं क्योंकि नदियों और स्थानीय खड्डों में पानी नहीं है. कई इलाकों में आईपीएच विभाग दिन में दो बार पीने का पानी दे रहा है. पालमपुर के निचले इलाकों में हालात सबसे खराब हैं, जहां स्थानीय जल स्रोत भी सूख चुके हैं.

धौलाधार पर्वतों पर बर्फ नहीं है

कांगड़ा घाटी में कई छोटे जलविद्युत परियोजनाएं, जो नेउगल, बनेर, बिनवा और आवा खड्डों से पानी लेती थीं, अब कम पानी के कारण बंद हो गई हैं. इन नदियों को पानी देने वाले धौलाधार पर्वतों पर बर्फ नहीं है. हिमाचल प्रदेश इस समय असामान्य मौसम की स्थिति से जूझ रहा है और सबसे सूखा सर्दी का सामना कर रहा है, क्योंकि सितंबर के पहले सप्ताह के बाद से बारिश नहीं हुई. यह स्थिति 2023 और 2007 की बेहद सूखी परिस्थितियों जैसी है, जब इसी अवधि में बारिश का घाटा 99 फीसदी था.

निचले पहाड़ी इलाके प्रभावित

सामान्य तौर पर बर्फबारी के लिए उत्तर ध्रुव से ठंडी हवा और भूमध्य सागर से गर्म हवा  के टकराने की जरूरत होती है. लेकिन इस साल उत्तर ध्रुव में हवा असामान्य रूप से कम रही, जिससे कम दबाव का क्षेत्र बना और सामान्य मौसम पैटर्न प्रभावित हुए. राज्य में कड़ाके की सर्दी और घना कोहरा फैल गया है, जिससे कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर और सोलन जिलों के मैदान और निचले पहाड़ी इलाके प्रभावित हैं.

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