तमिलनाडु में तरबूज की खेती करने वाले किसानों के लिए राहतभरी खबर है. जिन किसानों को तरबूज की खेती में नुकसान हुआ है, उनको जल्द मुआवजा मिल सकता है. क्योंकि मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया है कि वह तरबूज उगाने वाले किसानों को मुआवजा देने पर विचार करे. साथ ही कोर्ट ने सरकार से कहा है कि किसानों की संस्था द्वारा दी गई अपील पर 8 हफ्तों के अंदर विचार किया जाए. इसके बाद कोर्ट ने याचिका को बंद कर दिया. ऐसे में प्रदेश के लाखों तरबूज किसानों की राहत की उम्मीद जगी है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा तरबूज का रंग और मिठास बढ़ाने के लिए कथित तौर पर रसायनों के इंजेक्शन लगाने के बयानों के कारण उन्हें भारी नुकसान हुआ है. गलत बयानी के चलते लोगों ने किसानों से तरबूज नहीं खरीदा. जबकि, चेंगलपट्टू फार्मर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एम वेंकटेशन ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उस समय चेन्नई के फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए और किसानों को हुए नुकसान के लिए मुआवजा दिया जाए.
जांच में मिलावट नहीं पाई गई
बागवानी विभाग ने कोर्ट को बताया कि किसानों की शिकायत पर जांच की गई थी. शिकायत यह थी कि एक फूड सेफ्टी अधिकारी ने कहा था कि तरबूज में रंग और मिठास बढ़ाने के लिए उसमें एरिथ्रोसीन नाम का केमिकल इंजेक्ट किया जा रहा है. लेकिन जांच में ऐसी कोई मिलावट नहीं पाई गई. याचिकाकर्ता ने कहा कि चेंगलपट्टू जिले के किसानों को करीब 16,000 एकड़ में तरबूज की खेती की थी, लेकिन उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ा. क्योंकि गलत जानकारी फैलने के कारण लोग तरबूज खरीदने से डरने लगे, जिससे किसान अपनी उपज बेच नहीं पाए.
क्या है एरिथ्रोसीन और कहां होता है इसका इस्तेमाल
एरिथ्रोसीन खाने को लाल रंग देता है, जिससे वह ज्यादा लुभावना लगता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल तरबूज के के ऊपर किया जाता है. तरबूज में एरिथ्रोसीन इंजेक्ट करने पर फल अंदर से पूरी तरह लाल हो जाता है. हालांकि, खूबसूरत दिखने वाला लाल रंग सेहत के लिए हानिकारक भी हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, कई देशो में यह फूड कलर के रूप में मंजूर है. वहीं, यूके में इसे E127 नाम से जाना जाता है और यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी (EFSA) के अनुसार इसका इस्तेमाल केवल कुछ खास कॉकटेल और सिरप तक सीमित है. एरिथ्रोसीन दिखने में भूरे रंग का पाउडर या दानेदार होता है और यह जैन्थीन डाई का एक प्रकार है. इसमें आयोडीन और सोडियम होता है और यह तरबूज जैसे फलों के अलावा दवाओं सहित कई खाद्य उत्पादों को लाल रंग देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.