चीन का फैसला अमेरिकी किसानों के लिए तगड़ा झटका, सोयाबीन निर्यात में अरबों डॉलर का नुकसान

चीन की यह खरीदारी अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई है क्योंकि अमेरिकी सोयाबीन, ब्राजील की तुलना में सस्ता होने के बावजूद आयातकों के लिए महंगा पड़ रहा है. इसका असर अमेरिकी किसानों की आय और सोयाबीन निर्यात पर साफ दिखाई दे रहा है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Sep, 2025 | 08:55 AM

सितंबर का महीना अमेरिकी किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है. यह वह समय है जब सोयाबीन का पीक निर्यात सीजन शुरू होता है और किसानों की आय का बड़ा हिस्सा तय होता है. लेकिन इस साल स्थिति कुछ अलग है. चीन, जो अमेरिका का सबसे बड़ा सोयाबीन खरीदार रहा है, इस बार नए फसल वर्ष के लिए कोई ऑर्डर नहीं कर रहा है. इसके चलते अमेरिकी किसानों को अरबों डॉलर का संभावित नुकसान उठाना पड़ सकता है. वहीं, ब्राजील और अर्जेंटीना जैसे दक्षिण अमेरिकी देश चीन के सोयाबीन बाजार में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं.

चीन ने दक्षिण अमेरिकी सोयाबीन को तरजीह दी

चीन ने अक्टूबर महीने के लिए लगभग 7.4 मिलियन मीट्रिक टन सोयाबीन खरीद लिए हैं, जिनमें अधिकांश दक्षिण अमेरिकी सोयाबीन है. नवंबर के लिए भी लगभग 1 मिलियन टन की बुकिंग की गई है. पिछले साल इसी समय तक चीन ने अमेरिकी सोयाबीन के 12-13 मिलियन टन बुक किए थे. विशेषज्ञों के अनुसार, इस बदलाव के पीछे मुख्य वजह अमेरिका पर लगाए गए 23 फीसदी टैरिफ और लंबित व्यापार समझौते हैं.

चीन की यह खरीदारी अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई है क्योंकि अमेरिकी सोयाबीन, ब्राजील की तुलना में सस्ता होने के बावजूद आयातकों के लिए महंगा पड़ रहा है. इसका असर अमेरिकी किसानों की आय और सोयाबीन निर्यात पर साफ दिखाई दे रहा है.

संभावित नुकसान और अमेरिकी प्रतिक्रिया

विशेषज्ञों का अनुमान है कि अगर चीन नवंबर मध्य तक अमेरिकी सोयाबीन से दूर रहता है, तो अमेरिका को 14-16 मिलियन टन तक की संभावित बिक्री गंवानी पड़ सकती है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने भी संकेत दिया है कि 2025-26 के लिए सोयाबीन निर्यात अनुमान को घटाया जा सकता है.

इस बीच, ब्राजील से सोयाबीन महंगा होने के कारण चीन के तेल उद्योग को भी नुकसान हो रहा है. रीजाओ और अन्य प्रमुख प्रोसेसिंग हब में क्रश मार्जिन हाल ही में नकारात्मक हो गए हैं, जिसका असर तेल की कीमतों और प्रसंस्करण लागत पर पड़ रहा है.

भारत पर क्या असर पड़ेगा?

भारत में फिलहाल अमेरिकी सोयाबीन संकट का कोई बड़ा असर नहीं दिखाई दे रहा है. भारतीय किसानों और तेल प्रसंस्करण उद्योग के लिए स्थिति फिलहाल स्थिर है. हालांकि, अगर भविष्य में अमेरिका और चीन के बीच कोई व्यापार समझौता होता है और अमेरिकी सोयाबीन फिर से चीन में प्रवेश करता है, तो भारत और अन्य देशों को सोयाबीन और सोया तेल की कीमतों में प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, इस स्थिति से भारतीय बाजार को अवसर और चुनौतियों दोनों मिल सकते हैं. अवसर इसलिए कि अमेरिकी सोयाबीन के बाजार में अनिश्चितता के कारण भारत और अन्य देशों के उत्पादों की मांग बढ़ सकती है. वहीं, चुनौती इसलिए कि वैश्विक बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव से घरेलू उद्योग और उपभोक्ता प्रभावित हो सकते हैं.

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