Cotton Price: पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की आवक में 49.66 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इन तीन राज्यों में अब तक 13.32 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) मंडियों में पहुंचे हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 8.90 लाख गांठ ही पहुंचे थे. इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण मंडियों में कपास के भाव का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम होना है. MSP पर खरीद करने वाली कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) की मौजूदगी के बावजूद, किसान अपना उत्पादन रोकने के बजाय जल्दी मंडियों में बेच रहे हैं.
उत्तर भारत में कपास की फसल आमतौर पर सितंबर में कटाई शुरू होती है और नवंबर तक पूरी हो जाती है. मुख्य मंडी आवक सीजन 1 अक्टूबर से शुरू होता है, लेकिन कुछ जल्दी पकने वाली फसल सितंबर में भी मंडियों में पहुंच जाती है. इस दौरान कुल उत्पादन का 50-70 प्रतिशत (कभी-कभी बाजार भाव के हिसाब से 90 प्रतिशत तक) दिसंबर तक मंडियों में पहुंच जाता है और अगले साल 30 सितंबर तक आवक समाप्त हो जाती है.
6,750 से 7,200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच है कपास का रेट
इस समय उत्तर भारत में कपास (कपास) की कीमत 6,750 से 7,200 रुपए प्रति क्विंटल के बीच बिक रही है, जो MSP से कम है. इस साल पंजाब में लंबी फाइबर वाली कपास का MSP 8,110 रुपए, मध्यम फाइबर वाली 7,710 रुपए और थोड़ा लंबी मध्यम फाइबर वाली 8,010 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है. पंजाब में अब तक 61,770 बाल (3.8 लाख क्विंटल) मंडियों में पहुंचे हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या लगभग 45,000 गांठ थी, यानी करीब 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.
बाजार भाव लगभग MSP के बराबर था
इस साल कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने 13,400 गांठ (67,000 क्विंटल) खरीदे हैं. पिछले साल इस अवधि में CCI बाजार में नहीं उतरी थी क्योंकि उस समय बाजार भाव लगभग MSP के बराबर था. CCI अधिकारी ने कहा कि किसान घबराएं नहीं और अपना सारा उत्पादन एक साथ मंडियों में न लाएं, क्योंकि आने वाले महीनों में CCI MSP पर खरीद जारी रखेगी.
इस साल कपास की बुवाई 1.19 लाख हेक्टेयर में हुई
पंजाब में इस साल कपास की बुवाई 1.19 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जबकि 2024 में लगभग 1 लाख हेक्टेयर थी. हालांकि भारी बारिश से फसल का 10-15 प्रतिशत नुकसान हुआ, जिससे उत्पादक क्षेत्र लगभग पिछले साल के स्तर (करीब 1 लाख हेक्टेयर) तक ही रह गया और गुणवत्ता प्रभावित हुई. पंजाब से इस साल 1.5 से 1.8 लाख गांठ की कटाई की उम्मीद है, जबकि पिछले साल यह 1.51 लाख दांठ (7.55 लाख क्विंटल) थी.