Clove Farming : सालभर में कई फसलों की खेती होती रहती हैं, लेकिन अगर कोई ऐसा पौधा हो जो एक बार लगाने पर कई सालों तक लगातार कमाई कराए, तो यह किसी किसान के लिए किसी खजाने से कम नहीं होता. दक्षिण भारत की मशहूर फसल लौंग अब उत्तर भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. खास बात यह है कि लौंग का पेड़ दशकों तक उत्पादन देता है. यानी एक बार मेहनत करके पौधा लगा दिया, तो लंबे समय तक इसकी कमाई चलती रहती है. यही वजह है कि किसान इसे टिकाऊ और स्थायी आय का शानदार विकल्प मान रहे हैं.
किस तरह की जलवायु और मिट्टी में तेजी से बढ़ती है लौंग?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लौंग गर्म, नम और स्थिर जलवायु पसंद करती है. इसके लिए तापमान न ज्यादा गर्म होना चाहिए, न ज्यादा ठंडा. हल्की-सी आर्द्रता इसकी बढ़ोतरी के लिए बेहद फायदेमंद होती है. मिट्टी की बात करें तो लाल या दोमट मिट्टी इसमें सबसे अच्छा परिणाम देती है. बस मिट्टी में पानी रुकना नहीं चाहिए, इसलिए ड्रेनेज की व्यवस्था सही होनी जरूरी है. खेती शुरू करने से पहले खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को मुलायम और भुरभुरा कर देना चाहिए. इससे जड़ों को जमने और फैलने में आसानी होती है.
बीजों से नर्सरी तैयार करें
लौंग के पौधे बीजों के जरिए ही तैयार किए जाते हैं. अच्छे अंकुरण के लिए बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखा जाता है. इसके बाद नर्सरी में लगभग 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोया जाता है. नर्सरी में हल्की छांव और नमी से पौधे तेजी से बढ़ते हैं. करीब 6-7 महीने बाद पौधे मजबूत हो जाते हैं और मुख्य खेत में रोपाई के लिए बिल्कुल तैयार होते हैं. रोपाई के समय पौधों के बीच 7-8 फीट की दूरी रखना जरूरी है, ताकि हर पौधे को धूप, हवा और फैलने की पर्याप्त जगह मिल सके.
कम पानी में भी बढ़ता है लौंग का पौधा
लौंग की खेती में ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती. बस मिट्टी सूखने न पाए, इतना पानी पर्याप्त है. गर्मियों में 7-10 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं. खेत में खरपतवार समय-समय पर निकालना जरूरी है, ताकि पौधे का पोषण घटे नहीं. गड्ढों में खाद और थोड़ी रेत मिलाकर लगाने से मिट्टी की गुणवत्ता और भी बेहतर हो जाती है, जिससे पौधे लंबे समय तक स्वस्थ रहते हैं.
फूल पूरी तरह खिलने से पहले तोड़ें
लौंग का उत्पादन उसकी कली से होता है. जब पेड़ पर फूल आने लगते हैं, तो उन्हें पूरी तरह खिलने से पहले ही तोड़ लिया जाता है. यही कली सुखाकर सुगंधित लौंग बन जाती है, जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती है. कली का रंग और आकार देखकर सही समय पर तोड़ाई करना बेहद जरूरी है. समय पर तोड़ाई से उपज की गुणवत्ता बढ़ती है और बाजार मूल्य भी अच्छा मिलता है. मांग लगातार बढ़ रही है, इसलिए यह फसल किसानों के लिए लंबी अवधि वाली भरोसेमंद कमाई बनती जा रही है.