Onion Farmer: भारत सरकार प्याज के भंडारण से जुड़ी समस्याओं को हल करने और भारतीय प्याज को नए अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने के लिए एक स्टेकहोल्डर ग्रुप बनाने जा रही है, ताकि भारत फिर से वैश्विक बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सके. दरअसल, पिछले दो सालों के अनियमित मौसम ने फसल से पहले और बाद में भारी नुकसान पहुंचाया है. इसकी वजह से भारत की हिस्सेदारी यूएई, मलेशिया, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे प्रमुख बाजारों में घट गई है, जिन पर अब पाकिस्तान, चीन, मिस्र और तुर्किये ने कब्जा कर लिया है. निर्यातकों ने चेतावनी दी कि अगर भारत की स्थिति वैश्विक प्याज व्यापार में और कमजोर हुई, तो इससे किसानों और पूरे निर्यात तंत्र को नुकसान होगा.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में प्याज निर्यातकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की. इस बैठक में APEDA और अन्य अधिकारियों ने भी भाग लिया. निर्यातकों ने अपनी समस्याएं बताईं, जिन पर मंत्री ने सहानुभूति जताई, लेकिन उन्होंने कहा कि RODTEP दरें बढ़ाना या ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देना WTO नियमों के कारण संभव नहीं है. उन्होंने APEDA को निर्देश दिया कि वह कृषि मंत्रालय और उपभोक्ता मामले विभाग (DOCA) के साथ मिलकर निर्यातकों की दिक्कतों का समाधान खोजे.
स्टेकहोल्डर ग्रुप बनाया जाएगा
बैठक के बाद APEDA ने निर्यातकों को आगे की चर्चा के लिए आमंत्रित किया और भरोसा दिलाया कि एक स्टेकहोल्डर ग्रुप बनाया जाएगा, जो प्याज के भंडारण से जुड़ी समस्याओं पर काम करेगा और नए बाजारों की पहचान करेगा. निर्यातकों ने सरकार से अपील की है कि वह जल्दी कदम उठाए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की वजह से प्याज निर्यात क्षेत्र गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है.
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40 फीसदी प्याज खराब हो जाता है
बैठक में निर्यात प्रतिबंधों, सरकारी खरीद और वितरण नीतियों पर भी चर्चा हुई, जिनके कारण किसानों को अक्सर कम और अनुचित दाम मिलते हैं. निर्यातकों ने सरकार से तुरंत कदम उठाने की मांग की ताकि अधिक आपूर्ति के कारण गिरते दामों से परेशान किसानों को राहत मिल सके. निर्यातकों ने कहा कि जलवायु जोखिमों से निपटने के लिए वैज्ञानिक और नीतिगत सुधारों की जरूरत है. उन्होंने ऐसे खेती के तरीके और इनपुट्स को बढ़ावा देने की बात कही, जिनसे प्याज की क्वालिटी और शेल्फ लाइफ बढ़ सके. एक सदस्य ने कहा कि आधुनिक भंडारण व्यवस्था बेहद जरूरी है क्योंकि लगभग 40 फीसदी प्याज कटाई के बाद खराब हो जाता है. बड़े उत्पादन वाले इलाकों में आधुनिक स्टोरेज नेटवर्क बनाना और निजी निवेश को प्रोत्साहन देना आवश्यक है.
ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देने की भी मांग
इसके अलावा, निर्यातकों ने बढ़ती ढुलाई लागत को देखते हुए RODTEP दरें बढ़ाने और ट्रांसपोर्ट सब्सिडी देने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि प्याज निर्यात के लिए स्थिर और भरोसेमंद नीति जरूरी है ताकि विदेशी खरीदारों का विश्वास दोबारा हासिल किया जा सके. महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने सरकार से अपील की है कि आगामी बिहार जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले कीमतें कम करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप न किया जाए, क्योंकि इससे किसानों को भारी नुकसान होगा.
किसानों को नहीं होगा नुकसान
हाल ही में महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक किसान संघ ने एक “फोन प्रोटेस्ट” शुरू किया. इस अभियान में राज्य के अलग-अलग जिलों के किसान सीधे मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को फोन करके प्याज की गिरती कीमतों पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं और तुरंत राहत की मांग कर रहे हैं. इस आंदोलन के तहत किसान सांसदों, विधायकों, राज्य और केंद्र के मंत्रियों, साथ ही मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों से संपर्क कर रहे हैं. उनका उद्देश्य है कि सरकार इस कीमतों में आई भारी गिरावट की जिम्मेदारी ले और तुरंत ठोस कदम उठाए ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके.
 
 
                                                             
                             
                             
                             
                             
 
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                    