Oil Imports: देश में खाने के तेल को लेकर हाल के महीनों में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. महंगाई, आयात शुल्क और अंतरराष्ट्रीय बाजार की चाल ने मिलकर भारत के खाद्य तेल आयात की तस्वीर बदल दी है. नवंबर महीने के ताजा आंकड़े बताते हैं कि इस बार देश में खाद्य तेलों का आयात न सिर्फ पिछले महीने से कम रहा, बल्कि एक साल पहले की तुलना में भी इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. इससे घरेलू बाजार, तेल कंपनियों और उपभोक्ताओं तीनों पर असर पड़ता नजर आ रहा है.
नवंबर में खाद्य तेल आयात में बड़ी गिरावट
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEA) के आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में भारत का वनस्पति तेल आयात महीने-दर-महीने करीब 11 फीसदी घटा है, जबकि सालाना आधार पर इसमें 28 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह रिफाइंड, ब्लीच्ड और डीओडोराइज्ड यानी RBD पामोलीन का आयात लगभग ठप हो जाना रहा. नवंबर में इसका आयात घटकर सिर्फ 3,500 टन रह गया, जो पिछले साल की तुलना में बेहद कम है.
दूसरे तेलों का आयात भी रहा कमजोर
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, नवंबर में सिर्फ पामोलीन ही नहीं, बल्कि कच्चे सूरजमुखी तेल और डीगम्ड सोयाबीन तेल के आयात में भी कमी देखी गई. हालांकि इस दौरान कच्चे पाम तेल के आयात में कुछ बढ़ोतरी जरूर हुई, लेकिन वह अन्य तेलों में आई गिरावट की भरपाई नहीं कर पाई. कुल मिलाकर सॉफ्ट ऑयल्स यानी सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आयात में साफ गिरावट दर्ज की गई.
स्टॉक में भी आई कमी
आयात घटने का असर देश में उपलब्ध खाद्य तेल के स्टॉक पर भी साफ दिखाई दिया है. 1 दिसंबर तक खाद्य तेल का कुल स्टॉक घटकर करीब 1.62 मिलियन टन रह गया, जबकि 1 नवंबर को यह 1.73 मिलियन टन था. इस स्टॉक में सबसे बड़ा हिस्सा कच्चे पाम तेल का है. इसके अलावा पाम कर्नेल तेल, RBD पामोलीन, डीगम्ड सोयाबीन तेल, कच्चा सूरजमुखी तेल और सरसों तेल भी इसमें शामिल हैं.
SEA के अनुसार पाम ऑयल ग्रुप में रिफाइंड तेल का हिस्सा तेजी से घटा है, जबकि कच्चे पाम तेल की हिस्सेदारी लगभग पूरी हो गई है. यह बदलाव सरकार की आयात नीति और शुल्क ढांचे का सीधा नतीजा माना जा रहा है.
पाम तेल का दबदबा बरकरार
हालांकि नवंबर में पाम ऑयल ग्रुप का कुल आयात पिछले साल के मुकाबले कम रहा, लेकिन कुल वनस्पति तेल आयात में इसकी हिस्सेदारी बढ़ गई है. इसकी वजह यह है कि सॉफ्ट ऑयल्स का आयात ज्यादा तेजी से गिरा. पाम तेल की आपूर्ति में मलेशिया और इंडोनेशिया की अहम भूमिका रही. नवंबर में भारत को सबसे ज्यादा कच्चा पाम तेल मलेशिया से मिला, जबकि इंडोनेशिया दूसरे नंबर पर रहा.
कहां से आया सोयाबीन और सूरजमुखी तेल
डीगम्ड सोयाबीन तेल का ज्यादातर आयात अर्जेंटीना से किया गया. इसके अलावा ब्राजील और चीन भी इसके प्रमुख सप्लायर रहे. वहीं कच्चा सूरजमुखी तेल मुख्य रूप से रूस से आया, जबकि अर्जेंटीना और यूक्रेन से भी सीमित मात्रा में आपूर्ति हुई.
आयात शुल्क नीति का असर
विशेषज्ञों का मानना है कि जून में केंद्र सरकार द्वारा कच्चे खाद्य तेलों पर प्रभावी आयात शुल्क घटाकर 16.5 फीसदी करने और रिफाइंड तेलों पर शुल्क 37.75 फीसदी बनाए रखने का असर अब साफ दिखने लगा है. इससे कंपनियों ने रिफाइंड तेल के बजाय कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है, ताकि घरेलू रिफाइनिंग को बढ़ावा मिल सके.
कुल मिलाकर, नवंबर में खाद्य तेल आयात में आई गिरावट यह संकेत देती है कि सरकार की नीतियों और वैश्विक हालात का असर अब बाजार में दिखने लगा है. आने वाले महीनों में यह देखना अहम होगा कि इससे घरेलू कीमतों और उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ता है.