अर्जेंटीना-ब्राजील की जगह अब चीन से आएगा सोयाबीन तेल, क्या बदलेगा भारत का तेल बाजार?

यह कदम थोड़ा असामान्य जरूर है, क्योंकि अब तक चीन भारत को खाने का तेल नहीं भेजता था, बल्कि खुद बड़ा आयातक रहा है. लेकिन इस बार चीन ने भारी मात्रा में सोयाबीन मंगाया है.

नई दिल्ली | Published: 31 Jul, 2025 | 11:18 AM

भारत में त्योहारी सीजन के पहले खाने के तेलों की मांग बढ़ने लगी है और इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है. भारत की नौ बड़ी कंपनियों ने चीन से रिकॉर्ड 1.5 लाख टन सोयाबीन तेल आयात करने का करार किया है. ये तेल सितंबर से दिसंबर के बीच भारत पहुंचेगा.

इन कंपनियों में पतंजलि फूड्स, अडानी विल्मर, इमामी एग्रो, जेमिनी एडिबल्स, गोकुल एग्रो के साथ-साथ विदेशी दिग्गज कंपनियां जैसे कारगिल, बंज, एडीएम और लुई ड्रेफस शामिल हैं. खास बात यह है कि चीन से यह तेल करीब 15-20 डॉलर प्रति टन सस्ता मिल रहा है, जो आमतौर पर अर्जेंटीना या ब्राजील से आता है. साथ ही चीन से शिपमेंट सिर्फ 10-15 दिन में भारत पहुंच रहा है, जबकि दक्षिण अमेरिका से यह 45 दिन तक लगता है.

यह कदम थोड़ा असामान्य जरूर है, क्योंकि अब तक चीन भारत को खाने का तेल नहीं भेजता था, बल्कि खुद बड़ा आयातक रहा है. लेकिन इस बार चीन ने भारी मात्रा में सोयाबीन मंगाया है, जिससे वहां तेल का ज्यादा उत्पादन हो गया है और अब उसे निर्यात करना पड़ रहा है.

क्या यह चलन जारी रहेगा?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ एक व्यावसायिक फैसला है और लंबे समय तक ऐसा होना मुश्किल है. इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधाकर देसाई का कहना है कि चीन से यह आयात बहुत लंबे समय तक नहीं चलेगा क्योंकि चीन कोई स्थायी निर्यातक नहीं है.

भारत की स्थिति क्या है?

भारत हर साल 3.5 से 4.1 मिलियन टन सोयाबीन तेल आयात करता है, जिसमें सबसे बड़ा हिस्सा अर्जेंटीना और ब्राजील से आता है. भारत हर साल 7-9 मिलियन टन पाम ऑयल भी खरीदता है. ऐसे में चीन से आयात भारत के लिए एक वैकल्पिक रास्ता बन सकता है, लेकिन मुख्य आपूर्तिकर्ता देशों को बदलना फिलहाल मुश्किल है.

किसानों पर क्या असर पड़ेगा?

इस समय सरसों और तिल को छोड़कर बाकी सभी तिलहन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रही हैं. ज्यादा सस्ता तेल आने से घरेलू किसानों को नुकसान हो सकता है. वहीं, उपभोक्ताओं के लिए यह राहत की खबर है क्योंकि त्योहारी सीजन में तेल की कीमतें बढ़ने की बजाय स्थिर रह सकती हैं.