8 महीने में 9 फीसदी घटा देश में खाने वाले तेल का आयात, जानिए क्या है इसकी बड़ी वजह?

जहां एक ओर पाम और सूरजमुखी तेल की खपत में गिरावट आई, वहीं सोयाबीन तेल का आयात तेजी से बढ़ा. भारत ने इस साल 30.30 लाख टन सोया तेल आयात किया, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा केवल 18.68 लाख टन था.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 14 Jul, 2025 | 03:30 PM

भारत में खाने वाले तेलों का आयात धीरे-धीरे घटता जा रहा है. साल 2024-25 (नवंबर से अक्टूबर) के पहले 8 महीनों में भारत ने करीब 8.78 फीसदी कम खाद्य तेल आयात किया है. यह बदलाव सिर्फ आंकड़ों का नहीं, बल्कि देश की खाद्य नीति, मानसून, और घरेलू उत्पादन के बीच एक दिलचस्प संतुलन का संकेत है. आइए, जानते हैं क्यों तेजी से आ रहा है तेल व्यापार में ये बदलाव.

कम हुआ पाम और सूरजमुखी तेल का आयात

द हिंदू बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत ने नवंबर 2024 से जून 2025 के बीच कुल 92.08 लाख टन खाद्य तेल का आयात किया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 100.95 लाख टन था. सबसे बड़ी गिरावट पाम ऑयल और सूरजमुखी तेल के आयात में देखी गई है. पाम ऑयल का आयात 57.63 लाख टन से घटकर 42.85 लाख टन रह गया, वहीं सूरजमुखी तेल का आयात 24.63 लाख टन से गिरकर 18.92 लाख टन हुआ.

सोयाबीन तेल बना बड़ा विकल्प

जहां एक ओर पाम और सूरजमुखी तेल की खपत में गिरावट आई, वहीं सोयाबीन तेल का आयात तेजी से बढ़ा. भारत ने इस साल 30.30 लाख टन सोया तेल आयात किया, जबकि पिछले साल यही आंकड़ा केवल 18.68 लाख टन था. इससे साफ है कि उपभोक्ता और व्यापारी अब सोया तेल को प्राथमिकता दे रहे हैं.

नेपाल से रिफाइंड तेल का अलग ट्रेंड

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के अनुसार, इन आंकड़ों में नेपाल से पिछले छह महीनों में आए करीब 3.5 से 4 लाख टन रिफाइंड तेल को शामिल नहीं किया गया है. इसका मतलब है कि असली आयात और भी अधिक हो सकता है.

सरकार के पास तेल बीज का अच्छा भंडार

SEA के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता के मुताबिक, नाफेड, हैफेड और एनसीडीईएक्स के पास लगभग 14 लाख टन सोयाबीन और इतना ही रेपसीड का स्टॉक है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को आगामी त्योहारों और खरीफ फसल से पहले इस भंडार का कुछ हिस्सा बाजार में उतार देना चाहिए, जिससे कीमतें स्थिर रहें और आम उपभोक्ता को राहत मिले.

मानसून बना बड़ी उम्मीद

इस बार मानसून की शुरुआत समय पर हुई है और अब तक पूरे भारत में औसत से 15 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. इसका असर खरीफ की बुआई पर साफ दिख रहा है. अब तक 108.21 लाख हेक्टेयर में खरीफ तिलहनों की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल से 12.3 फीसदी ज्यादा है. इसमें मूंगफली, सोयाबीन और कपास की खेती प्रमुख है.

कौन दे रहा कितना तेल?

SEA के आंकड़ों के अनुसार, इंडोनेशिया ने भारत को नवंबर-जून 2024-25 के दौरान 12.49 लाख टन क्रूड पाम ऑयल और 8.17 लाख टन RBD पामोलीन भेजा. मलेशिया से 13.91 लाख टन क्रूड पाम ऑयल और 1.29 लाख टन RBD पामोलीन आया. सोयाबीन तेल की बात करें तो सबसे ज्यादा आयात अर्जेंटीना (18.34 लाख टन) से हुआ, उसके बाद ब्राजील, अमेरिका और रूस से. सूरजमुखी तेल सबसे अधिक रूस (10.43 लाख टन), फिर यूक्रेन (4.42 लाख टन) और अर्जेंटीना (2.39 लाख टन) से आया.

आगे क्या हैं उम्मादें

जैसे-जैसे खरीफ फसल तैयार होगी और त्योहारों का मौसम आएगा, तेल की मांग बढ़ेगी. ऐसे में सरकार की रणनीति, मानसून की कृपा और आयात नीतियां मिलकर यह तय करेंगी कि आम उपभोक्ता को राहत मिलेगी या नहीं. अभी के लिए तो यही कहा जा सकता है कि भारत तेल के व्यापार में संतुलन साधने की कोशिश में है.

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Published: 14 Jul, 2025 | 03:24 PM

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