भारत में जून 2025 में पाम ऑयल की खरीद में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. खाने के तेल की मांग और सस्ते दामों की वजह से बीते 11 महीनों में यह सबसे ऊंचा आंकड़ा है. देश के तेल व्यापारियों के मुताबिक, जून में भारत ने करीब 9.53 लाख टन पाम ऑयल का आयात किया, जो मई के मुकाबले 61 फीसदी ज्यादा है.
क्यों बढ़ी पाम ऑयल की मांग?
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, भारत में रिफाइनर्स और तेल कारोबारियों ने जून में तेजी से पाम ऑयल खरीदा क्योंकि यह अन्य तेलों जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की तुलना में करीब 100 डॉलर प्रति टन सस्ता हो गया है. यही वजह है कि पाम ऑयल ने एक बार फिर बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है.
बाकी तेलों का हाल
जहां एक ओर पाम ऑयल की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर रही, वहीं सोयाबीन तेल का आयात 9 फीसदी गिरकर 3.63 लाख टन पर आ गया. दूसरी तरफ सूरजमुखी तेल के आयात में 18 फीसदी की बढ़त हुई और यह 2.16 लाख टन तक पहुंचा. कुल मिलाकर, भारत का खाने के तेलों का आयात जून में 30 फीसदी बढ़कर 15.3 लाख टन पहुंच गया, जो नवंबर 2024 के बाद सबसे ज्यादा है.
भारत किन देशों से खरीदता है तेल
भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई देशों पर निर्भर है. पाम ऑयल की बात करें तो यह मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है, क्योंकि ये दोनों देश पाम ऑयल के सबसे बड़े उत्पादक हैं. वहीं, सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल की आपूर्ति के लिए भारत अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन जैसे देशों से खरीद करता है.
इन देशों से आयात किए जाने वाले तेलों की कीमतें, वैश्विक आपूर्ति और मौसम की स्थितियों पर निर्भर करती हैं, जिनका सीधा असर भारत की घरेलू बाजार पर पड़ता है.
क्यों आगे भी बनी रहेगी पाम ऑयल की डिमांड?
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में भी भारत में पाम ऑयल की मांग बनी रहेगी, क्योंकि उत्पादन करने वाले देशों में इसकी सप्लाई में बढ़ोतरी हो रही है और कीमतें अब भी प्रतिस्पर्धी बनी हुई हैं.
नेपाल से कम हुआ तेल आयात
दिलचस्प बात यह है कि भारत ने नेपाल से आने वाले खाद्य तेलों का आयात घटा दिया है. मई में नेपाल से 1.55 लाख टन तेल आया था, जो जून में घटकर 75 हजार टन रह गया.