खेती में बिचौलियों को खत्म करे सरकार, उपराष्ट्रपति बोले- खाद सब्सिडी पर US पैटर्न फॉलो करें 

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खाद सब्सिडी के लिए अमेरिका जैसा डीबीटी मॉडल अपनाने की मांग की और किसानों को महंगाई के अनुसार आर्थिक मदद देने की वकालत की.

नोएडा | Published: 5 May, 2025 | 07:11 PM

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि किसानों को खाद सब्सिडी राशि सीधे उनके खातों में ट्रांसफर की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार को अमेरिका की तरह भारतीय किसानों के खातों में भी खाद सब्सिडी देनी चाहिए. इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे सांसदों और विधायकों की सैलरी महंगाई को ध्यान में रखकर बढ़ाई जाती है, वैसे ही किसानों की दी जाने वाली आर्थिक मदद में भी बढ़ोतरी की जानी चाहिए. वहीं, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने एक अन्य कार्यक्रम में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत बताई.

खाद सब्सिडी पर US पैटर्न फॉलो करें

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसानों के लिए उर्वरक सब्सिडी में अमेरिकी पैटर्न के आधार पर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की वकालत की और मांग की. ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विधायकों और सांसदों के वेतन में संशोधन करते समय महंगाई को ध्यान में रखा है, तो किसानों का समर्थन करते समय क्यों नहीं? किसानों को दी जाने वाली सहायता में महंगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए.

साथ ही उर्वरक सब्सिडी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) की आवश्यकता पर जोर देते हुए, धनखड़ ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में, किसानों को दी जाने वाली सभी सहायता सीधे दी जाती है, बिचौलियों के माध्यम से नहीं. इसलिए सरकार को बिचौलियों को खत्म करना चाहिए.

प्रोत्साहन प्रणाली तैयार करने की जरूरत

वहीं, कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा है कि किसानों को रासायनिक खादों के बजाय प्राकृतिक तरीकों से खेती अपनाने के लिए एक मजबूत और प्रभावी प्रोत्साहन प्रणाली तैयार करने की जरूरत है. पॉलिसी रिसर्च संस्थान ‘पहल इंडिया फाउंडेशन’ के एक कार्यक्रम में बोलते हुए चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि प्राकृतिक खेती को सिर्फ सीमित बाजार तक सीमित नहीं रखना चाहिए, बल्कि इसे मुख्यधारा में लाकर आम लोगों तक पोषणयुक्त उत्पाद पहुंचाने की दिशा में काम होना चाहिए.

खेती के तौर-तरीकों में बड़े बदलाव की जरूरत

इस कार्यक्रम में पूर्व नीति आयोग उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि देश में पोषण, पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए खेती के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव जरूरी है. उन्होंने कहा कि गैर-रासायनिक खेती की उपयोगिता को साबित करने के लिए ठोस और गहन शोध की जरूरत है. ऑस्ट्रेलिया की फेडरेशन यूनिवर्सिटी के हरपिंदर संधू और पहल इंडिया फाउंडेशन (PIF) की अदिति रावत ने एक पैन-इंडिया स्टडी की पद्धति पेश की, जिसका मकसद है यह जानना कि देश के अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों में रीजनरेटिव (पुनर्योजी) खेती कितनी प्रभावी और व्यावहारिक है. उन्होंने कहा कि इस स्टडी से सरकार की नीतियों और खेती की दिशा तय करने में मदद मिलेगी.