4500 रुपये एकड़ प्रोत्साहन के बाद भी टारगेट अधूरा, किसानों ने DSR तकनीक से क्यों बनाई दूरी?

करनाल जिले में इस बार DSR तकनीक से धान की खेती लक्ष्य से काफी पीछे रही. प्री-मॉनसून बारिश, प्रोत्साहन राशि में देरी और खरपतवार नियंत्रण की चुनौती ने किसानों को पारंपरिक रोपाई की ओर मोड़ दिया.

नोएडा | Published: 13 Aug, 2025 | 01:28 PM

हरियाणा के करनाल जिले में इस बार डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) तकनीक से धान की खेती का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 30,000 एकड़ में DSR पद्धति से धान बोने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक केवल 2,724 किसानों ने 16,247.42 एकड़ जमीन पर ही DSR के लिए पंजीकरण कराया है.अधिकारियों के अनुसार, DSR विधि पारंपरिक धान की रोपाई के मुकाबले अधिक पानी की बचत करने वाली और खर्च कम करने वाली तकनीक है. इससे भूजल स्तर को गिरने से रोका जा सकता है, मजदूरी का खर्च कम होता है और समय पर बुवाई भी संभव होती है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि अधिकारियों ने कहा  कि इस बार DSR तकनीक का लक्ष्य पूरा न हो पाने के पीछे कई कारण रहे. इनमें समय से पहले आई भारी प्री-मॉनसून बारिश, किसानों की उपज को लेकर चिंता और पारंपरिक रोपाई विधि को लेकर उनकी अब भी बनी हुई पसंद शामिल हैं. कुछ किसानों ने यह भी कहा कि DSR में शुरुआती समय में खरपतवार (घास-पतवार) को संभालना मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लिए खास किस्म की दवाओं और निगरानी की जरूरत होती है.

जांच 19 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी

जिला कृषि उपनिदेशक डॉ. वजीर सिंह ने कहा कि हमने जिलेभर में किसानों के लिए जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए, लेकिन मई के आखिरी हफ्ते और जून के पहले पखवाड़े में हुई बारिश के कारण किसानों ने पारंपरिक रोपाई को ही बेहतर समझा. सरकारी सब्सिडी और लाभों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए विभाग ने पंजीकृत DSR खेतों की जांच शुरू कर दी है. अधिकारीयों ने बताया कि यह जांच 19 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी, जिसके बाद किसानों को सब्सिडी और अन्य लाभ दिए जाएंगे.

4,975 एकड़ खेतों का हुआ सत्यापन

डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर (DDA) ने कहा कि अब तक 4,975 एकड़ खेतों का सत्यापन किया जा चुका है. सत्यापन के बाद प्रति एकड़ 4,500 रुपये की राशि किसानों के खाते में भेजी जाएगी. वहीं, कृषि विशेषज्ञों और किसानों का मानना है कि इस साल लक्ष्य पूरा न हो पाने की एक बड़ी वजह यह भी है कि सरकार की ओर से प्रति एकड़ 4,500 रुपये की प्रोत्साहन राशि समय पर नहीं मिली.

ICAR-IARI दिल्ली के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र लाठर ने कहा कि मैंने 2024 में 7 एकड़ में DSR अपनाया था, लेकिन धान की कटाई के करीब 9 महीने बाद, मई 2025 में जाकर ही प्रोत्साहन राशि मिली. यही हाल हजारों अन्य किसानों का भी रहा, जिन्होंने पारंपरिक रोपाई छोड़कर पानी बचाने के लिए DSR अपनाया था. इस साल इसी देरी के चलते कई किसान हतोत्साहित हुए और उन्होंने DSR तकनीक से दूरी बना ली.

किसान क्यों नहीं अपना रहे DSR तकनीक

उन्होंने यह भी बताया कि मई और जून में हुई प्री-मॉनसून बारिश DSR तकनीक को कम अपनाए जाने की एक और बड़ी वजह रही. उन्होंने कहा कि आमतौर पर DSR की बुवाई के लिए 20 मई से 10 जून के बीच का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. लेकिन अगर इस दौरान भारी बारिश हो जाए, तो खेतों में खरपतवार (घास-पतवार) पर नियंत्रण करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

जिले के किस ब्लॉक में कितनी हुई रोपाई

  • असंध ब्लॉक में 656 किसानों ने 5,199.28 एकड़ में DSR अपनाया
  • घरौंडा में 615 किसानों ने 3,609.75 एकड़ में
  • इंद्री में 404 किसानों ने 1,588.54 एकड़ में
  • करनाल ब्लॉक में 415 किसानों ने 2,322.39 एकड़ में
  • निलोखेड़ी में 344 किसानों ने 1,881.49 एकड़ में
  • निसिंग में 290 किसानों ने 1,652.94 एकड़ में DSR तकनीक अपनाई है
  • कुल मिलाकर, जिले में अभी भी DSR तकनीक को अपनाने में किसानों की रुचि अपेक्षा से कम दिखाई दे रही है