17500 रुपये प्रोत्साहन के बाद भी टारगेट से दूर है सरकार, केवल 19500 एकड़ में हुई मक्के की बुवाई

पंजाब सरकार की मक्का को औद्योगिक फसल के रूप में बढ़ावा देने की योजना को किसानों से उम्मीद से कम समर्थन मिला है.30,000 एकड़ के लक्ष्य में से सिर्फ 19,500 एकड़ में ही मक्का बोया गया.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 12 Aug, 2025 | 06:04 PM

पंजाब सरकार की खरीफ सीजन में मक्के को औद्योगिक फसल के रूप में बढ़ावा देने की पहली कोशिश को किसानों से उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिली. सरकार ने फसल विविधीकरण के तहत 6 जिलों में 30,000 एकड़ क्षेत्र में मक्का की खेती का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक सिर्फ 59 फीसदी लक्ष्य ही पूरा हो पाया है. इस योजना के तहत मक्का की खेती अपनाने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है. इसका मकसद पानी की बचत करना और मक्के को बायोफ्यूल के रूप में बढ़ावा देना है.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मक्का बोने का तय समय 15 जुलाई को खत्म हो चुका है. अब कृषि विभाग खेतों की फिजिकल वेरिफिकेशन कर रहा है, ताकि किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दी जा सके. प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक करीब 19,500 एकड़ में मक्का बोया गया है. सबसे ज्यादा मक्का की बुवाई पठानकोट में 4,100 एकड़, इसके बाद संगरूर 3,700 एकड़, बठिंडा  में 3,200 एकड़, जालंधर में 3,100 एकड़, कपूरथला में 2,800 एकड़ और गुरदासपुर में 2,600 एकड़ में दर्ज की गई है.

मक्का की खेती में नहीं हुआ कोई खास बदलाव

इस साल खरीफ मक्का की खेती का कुल रकबा पिछले साल की तरह ही लगभग 80,000 हेक्टेयर (1.98 लाख एकड़) रहा. यानी कुल मिलाकर राज्य में मक्का की खेती में कोई खास बदलाव नहीं हुआ. कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल यह कहना जल्दबाजी होगी कि तय लक्ष्य क्यों पूरा नहीं हो पाया. एक अधिकारी ने कहा कि यह किसानों के लिए फायदेमंद सौदा है. उन्हें सब्सिडी मिल रही है और मक्के की मांग पहले से ही बनी हुई है. सरकार को भी फसल विविधिकरण में मदद मिल रही है. अभी हम फील्ड डेटा इकट्ठा कर रहे हैं, रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ होगी और जरूरत पड़ी तो योजना में सुधार किया जाएगा.

वहीं, बठिंडा के किसान बलदेव सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा गैर-बासमती धान की निश्चित खरीद किसानों को गेहूं-धान चक्र में टिके रहने के लिए मजबूर करती है. उन्होंने कहा कि फसल विविधिकरण तभी सफल होगा जब सरकार किसानों को खरीफ मक्का या किसी दूसरी वैकल्पिक फसल की खरीद की गारंटी दे. बढ़ती लागत और कर्ज के दबाव में किसान जोखिम नहीं ले सकते.

पंजाब में 18 एथेनॉल प्लांट हैं

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, पंजाब में फिलहाल 18 एथेनॉल प्लांट हैं और मक्का की मांग बहुत ज्यादा है, क्योंकि इससे नवीकरणीय ईंधन (एथेनॉल) बनता है, जिसे पेट्रोल में 20 फीसदी तक मिलाने का केंद्र सरकार ने लक्ष्य रखा है. वहीं, केंद्रीय भूजल बोर्ड की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के 150 राजस्व ब्लॉकों में से 117 में भूजल का अत्यधिक दोहन हो रहा है. यानी यहां जितना पानी निकाला जा रहा है, उतनी भरपाई नहीं हो पा रही है. संगरूर और बठिंडा जैसे जिलों में जहां धान की खेती बहुत ज्यादा होती है, वहां भूजल स्तर हर साल एक मीटर से ज्यादा नीचे जा रहा है, जिससे खेतों के लिए पानी की उपलब्धता मुश्किल होती जा रही है.

 

 

 

 

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Published: 12 Aug, 2025 | 06:01 PM

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