पंजाब सरकार ने गिरते भूजल स्तर को रोकने के लिए धान की जगह मक्के की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट के तहत मक्के की खेती करने वाले किसानों को 17,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी. राज्य सरकार को उम्मीद है कि उसके इस प्रोजक्टे से राज्य में मक्के का रकबा बढ़ेगा. इससे धान की सिंचाई पर खर्च होने वाले पानी की बचत होगी. क्योंकि मक्के की फसल को सिंचाई के लिए धान के मुकाबले बहुत ही कम पानी की जरूरत होती है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मताबिक, पंजाब सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत संगरूर, बठिंडा, पठानकोट, गुरदासपुर, जालंधर और कपूरथला जिलों में कुल 10,000 हेक्टेयर में मक्के की खेती कराई जाएगी. इस योजना के तहत संगरूर और गुरदासपुर में 2,000 हेक्टेयर, जबकि पठानकोट, जालंधर, बठिंडा और कपूरथला में 1,500 हेक्टेयर में मक्के की खेती होगी.
2,400 रुपये प्रति क्विंटल होगी मक्के की खरीद
खास बात यह है कि किसानों को मक्का की खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 17,500 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी और मक्का की खरीद 2,400 प्रति क्विंटल की दर से सुनिश्चित की जाएगी. इस पहल का उद्देश्य फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना है. इसके अलावा गिरते भूजल स्तरको रोकना भी है. साथ ही राज्य सरकार को मुख्य उदेश्य इस पायलट प्रोजेक्ट की मदद से किसानों की आमदनी भी बढ़ाना है. क्योंकि मक्के से एथनॉल बनाने की बढ़ती मांग को देखते हुए भी यह कदम उठाया गया है. सरकार को उम्मीद है कि उसकी इस प्रोत्साहन निति से किसान अधिक से अधिक रकबे में मक्के की खेती करेंगे.
किसानों को मिलेगी तकनीकी मदद
वहीं, प्रशासन के प्रवक्ता के अनुसार, कृषि और किसान कल्याण विभाग किसानों को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन देगा. हर गांव में प्रशिक्षित ‘किसान मित्र’ नियुक्त किए जाएंगे, जो किसानों की मदद करेंगे. मक्का की खेती में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर सब्सिडी भी दी जाएगी. संगरूर के डिप्टी कमिश्नर संदीप ऋषि ने बुधवार को किसानों से अपील की कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं और मक्का की खेती की ओर बढ़ें. मुख्य कृषि अधिकारी धर्मिंदरजीत सिंह ने कहा कि मक्का की बुवाई जून के अंत तक की जा सकती है.