गांव-देहात से लेकर शहर के डेयरी फार्म तक, बरसात का मौसम आते ही खुरपका-मुंहपका (FMD) जैसी खतरनाक बीमारी पशुपालकों की सबसे बड़ी चिंता बन जाती है. हवा में नमी बढ़ते ही यह वायरस तेजी से फैलता है और हजारों गाय-भैंसों को अपनी चपेट में ले लेता है. इतना ही नहीं बीमार पशु दूध देना बंद कर देते हैं, कमजोर हो जाते हैं और कई बार जान तक चली जाती है. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, कुछ आसान उपाय अपनाकर आप अपने पशुओं को इस जानलेवा बीमारी से बचा सकते हैं.
इन 7 उपायों से करें बीमारी पर काबू
- बछड़ों को 1, 3 और 6 माह की उम्र में टीका जरूर लगवाएं, फिर हर 6 महीने पर पूरे पशु समूह का नियमित टीकाकरण कराएं.
- बीमार पशु को अलग रखें, ताकि बीमारी अन्य जानवरों में न फैले.
- बीमार पशु को संभालने वाले व्यक्ति को सतर्क रखें, छूने के बाद तुरंत हाथ धोएं और अन्य पशुओं से दूरी बनाए रखें.
- बीमार पशुओं को इधर-उधर ले जाने से बचें, क्योंकि उनकी आवाजाही से संक्रमण दूसरे जानवरों में तेजी से फैलता है.
- संक्रमित इलाकों से पशु न खरीदें, क्योंकि बीमारी का खतरा बना रहता है.
- पशुशाला को हमेशा साफ रखें, इससे वायरस और संक्रमण फैलने से रोका जा सकता है.
- मरे हुए पशु को जमीन में दबाएं, इसे खुले में छोड़ना खतरनाक है.
संक्रमित लार से फैलता है खुरपका मुंहपका का वायरस
हिमाचल सरकार के पशुपालन विभाग के मुताबिक, यह रोग संक्रमित जानवरों की लार, दूध या जख्म से निकलने वाले तरल से फैलता है. दराअसल, बरसात के मौसम में हवा में नमी ज्यादा होने के कारण यह वायरस और तेजी से फैलता है. इस रोग को फैलाने में कुत्ते, पक्षी और खेतों में घूमने वाले अन्य जानवर भी भूमिका निभाते हैं. खासकर भेड़ और सूअर इस बीमारी को फैलाने में मुख्य कारण बनते हैं. वहीं संकर नस्ल के जानवर, स्थानीय नस्ल की तुलना में जल्दी इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं.
एक बीमारी और दूध से लेकर व्यापार तक सब बर्बाद
खुरपका-मुंहपका बीमारी से किसानों को सीधा आर्थिक नुकसान होता है. क्योंकि, बीमार पशु दूध देना बंद कर देते हैं, उनका वजन घट जाता है और वे कमजोर होकर गिरने लगते हैं. कई बार तो इलाज के बावजूद पशु की मौत भी हो जाती है. इतना ही नहीं, जिन पशुओं को ये रोग हो चुका होता है, उन्हें बेचने पर भी रोक लग जाती है, जिससे व्यापारियों और किसानों को बड़ा झटका लगता है.
सावधानी हटी तो किसान का नुकसान पक्का
खुरपका-मुंहपका कोई साधारण बीमारी नहीं है. यह पशु के शरीर, उत्पादन और जीवन तीनों को प्रभावित करती है. अगर आपने इन 7 उपायों को समय रहते नहीं अपनाया तो नुकसान तय है. इसलिए आज ही अपने पशुओं को वैक्सीन लगवाएं, साफ-सफाई रखें और सतर्क रहें. आपकी थोड़ी सी सावधानी, आपके पशुओं की जिंदगी और आपकी कमाई दोनों बचा सकती है.
- FMD: बारिश में खुरपका-मुंहपका रोग से कैसे बचाएं पशु, जानिए पूरा इलाज
- बरसात में पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए शेड है अहम, बस कर लें 3 इंतजाम
- Pig Farming: पुशपालकों के लिए घातक हो सकता बीमार सूअर! ये 7 लक्षण न करें नजरअंदाज
- गाय-भैंस अचानक बैठ जाए तो हल्के में न लें! मिल्क फीवर से ऐसे होती है मौत, जानिए बचाव और इलाज