बरसात का मौसम जहां एक तरफ हरियाली लेकर आता है, वहीं दूसरी तरफ पशुओं के लिए कई बीमारियां भी साथ लाता है. खासकर पशुपालकों के लिए यह समय मुश्किल भरा होता है. इसी दौरान एक खतरनाक बीमारी तेजी से फैलती है खुरपका-मुंहपका. यह बीमारी भैंस, बकरी, भेड़ और सूअर जैसे जानवरों को ज्यादा होती है. इससे न सिर्फ पशु की जान को खतरा होता है, बल्कि किसान की आमदनी पर भी बुरा असर पड़ता है.
कैसे फैलता है यह वायरस
यह रोग संक्रमित जानवरों की लार, दूध या जख्म से निकलने वाले तरल से फैलता है. दराअसल बरसात के मौसम में हवा में नमी ज्यादा होने के कारण यह वायरस और तेजी से फैलता है. इस रोग को फैलाने में कुत्ते, पक्षी और खेतों में घूमने वाले अन्य जानवर भी भूमिका निभाते हैं. खासकर भेड़ और सूअर इस बीमारी को फैलाने में मुख्य कारण बनते हैं. वहीं संकर नस्ल के जानवर, स्थानीय नस्ल की तुलना में जल्दी इस संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं.
बीमारी से पशु के दूध पर पड़ता है सीधा असर
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बीमारी से किसानों को सीधा आर्थिक नुकसान होता है. बीमार जानवर दूध देना बंद कर देते हैं, वजन घट जाता है और कई बार जान भी चली जाती है. इतना ही नहीं, कई देशों में रोगग्रस्त पशुओं के निर्यात पर रोक भी लग जाती है, जिससे बड़ा नुकसान होता है.
ऐसे बचाएं इस बीमारी से अपने पशुओं को
- बीमार पशु के मुंह और खुर को 1 फीसदी पोटैशियम परमैंगनेट के घोल से धोएं.
- जख्मों पर एंटीसेप्टिक लोशन लगाएं.
- मुंह में बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट लगाएं.
- बीमार पशु को हल्का, पचने वाला आहार दें और स्वस्थ पशुओं से दूर रखें.
- सबसे जरूरी है समय पर टीकाकरण और साफ-सफाई.
क्या है खुरपका-मुंहपका रोग?
यह बीमारी एक वायरस से फैलती है और खासतौर पर उन जानवरों को होती है जिनके खुर फटे होते हैं. बीमारी में जानवर के मुंह और खुरों में छाले हो जाते हैं, जिससे उसे खाना-पीना और चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है. यही कारण दूध उत्पादन भी घट जाता है और पशु की सेहत धीरे-धीरे खराब होती जाती है.