खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है. इस सीजन में किसान दालों की बंपर खेती करते हैं. दलहनी फसलों के उत्पादन से किसानों को पैदावार भी अच्छी मिलती है और उनका मुनाफा भी होता है. ऐसे में अगर किसान उड़द दाल की खेती करते हैं को उनके लिए यह फायदे का सौदी हो सकता है.बता दें कि उड़द दाल की खेती में कम पानी की जरूरत होती है और यह तेजी से तैयार भी हो जती है. तो चलिए जानते हैं कैसे होती है उड़द दाल की खेती और कितनी होती है पैदावार.
ऐसे करें खेत तैयार
उड़द दाली की खेती के लिए सबसे जरूरी है कि किसान खेत को अच्छे से तैयार करें, फसल की सिंचाई और बुवाई का ध्यान रखें, साथ ही सही किस्मों का चुनाव करें. उड़द दाल की खेती करने से पहले खेत को अच्छे से 2 से 3 बार जोत लें ताकि खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाए. इसके बाद खेत पर पाटा चलाकर खेत को समतल कर लें. इसके बाद मिट्टी में जरूरी जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करें. आपको ध्यान रखना होगा कि खेत में जल निकासी की उचित व्यव्सथा हो. ध्यान रखें कि उड़द की खेती के लिए मिट्टी का pH मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
समय पर करें बुवाई और सिंचाई
उड़द दाल की बुवाई का सही समय खरीफ सीजन में जूनृ-जुलाई के दौरान और गर्मियों में फरवरी से अप्रैल के बीच का होता है. उड़द की बुवाई के लिए लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी और पौधों से पौधों की दूरी 10 सेमी रखें.इसके बाद बीज को मिट्टी में करीब 4 से 6 सेमी की गहराई में रोपें. इसके बाद खेत में नमी बनाए रखने के लिए खेत की सिंचाई करें. बता दें कि ग्रीष्मकालीन उड़दो को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती . लेकिन खरीफ सीजन में खेत में नमी बनी रहे इसके लिए नियमित अंतराल पर खेत की सिंचाई करते रहें.
कम समय में होती है अच्छी पैदावार
उड़द दाल एक ऐसी फसल है जो कम समय में तैयार हो जाती है. उड़द की फसल करीब 60 से 70 दिनों में तैयार हो जाता है. जिससे किसान फसल की कटाई कर बाजार में जल्दी बेच सकते हैं. बता दें कि उड़द दाल की खेती से औसतन प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल पैदावार होती है.