अब फिर चमकेगा भारत का सीफूड एक्सपोर्ट! यूके में मिलेगा बड़ा बाजार

हाल ही में भारत और यूके के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) इस संकट से बाहर निकलने की एक नई उम्मीद लेकर आया है. इस समझौते से न केवल भारतीय निर्यातकों को फिर से बाजार में पकड़ बनाने का मौका मिलेगा, बल्कि भारत का अक्वाकल्चर (जल कृषि) उद्योग भी और मजबूत हो सकता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Updated On: 9 May, 2025 | 12:13 PM

भारत के समुद्री उत्पाद जैसे झींगे, मछलियां और अन्य सीफूड दुनियाभर में पसंद किए जाते हैं. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यूनाइटेड किंगडम (यूके) में इनकी मांग और निर्यात में लगातार गिरावट देखी जा रही थी. प्रतिस्पर्धा बढ़ने और व्यापार शर्तों के कठिन होने के कारण भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा था.

अब हाल ही में भारत और यूके के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) इस संकट से बाहर निकलने की एक नई उम्मीद लेकर आया है. इस समझौते से न केवल भारतीय निर्यातकों को फिर से बाजार में पकड़ बनाने का मौका मिलेगा, बल्कि भारत का अक्वाकल्चर (जल कृषि) उद्योग भी और मजबूत हो सकता है.

पिछले वर्षों में गिरा निर्यात

FY 2017-18 में भारत ने यूके को 180.57 मिलियन डॉलर के समुद्री उत्पाद निर्यात किए थे, लेकिन FY 2024-25 तक यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 104.10 मिलियन डॉलर रह गया. यह गिरावट मुख्य रूप से अन्य देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा और टैरिफ (शुल्क) जैसी व्यापारिक चुनौतियों के कारण हुई.

अब FTA के तहत कई टैरिफ खत्म या कम किए जाएंगे, जिससे भारतीय उत्पादों की कीमत यूके में ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो पाएगी. इससे झींगा, मछली और अन्य समुद्री उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी संभव है.

निर्यातकों को मिलेगा सीधा फायदा

झींगा फीड उत्पादक के निर्माता दिव्य कुमार गुलाटी का मानना है कि यह समझौता भारतीय निर्यातकों के लिए एक “रणनीतिक मौका” है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में बढ़ते टैक्स के चलते भारत के झींगा निर्यात पर संकट गहरा रहा था, लेकिन अब यूके में नए रास्ते खुलेंगे.

FTA के चलते यूके के बाजार में भारतीय झींगा की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे वहां की जनता को भी सस्ता सीफूड मिलेगा और भारत के निर्यातकों को नया व्यापार अवसर.

भारत के समुद्री उद्योग को मिलेगा बूस्ट

यह समझौता सिर्फ व्यापार बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर भारत के अक्वाकल्चर (जल कृषि) उद्योग पर पड़ेगा. बेहतर कीमतें, आसान एक्सपोर्ट और बढ़ती मांग से नए रोजगार के अवसर भी पैदा हो सकते हैं और किसान भी लाभ में आ सकते हैं.

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Published: 9 May, 2025 | 12:08 PM

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