Jharkhand Paddy Procurement: झारखंड में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने ऐलान किया है कि किसानों को अब धान पर केंद्र सरकार के MSP के अलावा प्रति क्विंटल 100 रुपये का बोनस दिया जाएगा. राज्य के खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री इरफान अंसारी ने कहा है कि सरकार किसानों को धान की खरीद का भुगतान एक बार में करेगी. खास बात यह है कि इस बार खरीद प्रक्रिया 15 दिसंबर 2025 से शुरू होगी. उन्होंने कहा कि बोनस देने का प्रस्ताव तैयार है और जल्द ही कैबिनेट से मंजूरी मिल जाएगी.
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने धान खरीद सीजन 2025-26 के लिए सामान्य धान का MSP 2,369 रुपये और ग्रेड-ए धान का MSP 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों से खरीदे जाने वाले धान का भुगतान एक बार में करेगी. यह फैसला बिचौलियों से किसानों को मुक्त करने और उनकी आमदनी मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि झारखंड में अगले 10 से 15 दिनों में धान कटाई पूरी हो जाएगी. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने खरीद की तैयारी पूरी कर ली है, जो 15 दिसंबर से शुरू होगी.
एक ही बार में होगा धान का भुगतान
खास बात यह है कि राज्य में पहली बार किसानों को धान का भुगतान एक ही बार में मिलेगा. इससे पहले यह दो किस्तों में होता था और अक्सर दूसरी किस्त देर से मिलती थी, जिसके कारण किसान मजबूरी में अपना धान बिचौलियों को बेचते थे. यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब चक्रवात मोंथा से कई जिलों में फसल को भारी नुकसान हुआ है. हजारिबाग में लगातार बारिश के कारण खेतों में पानी जमा हो गया और कटाई के लिए तैयार धान की फसल सड़ने लगी. किसानों का कहना है कि उन्हें अच्छी पैदावार की उम्मीद थी, लेकिन लगातार बारिश ने फसल और बीज दोनों को नुकसान पहुंचाया.
किसानों को मिलेगी राहत
फसल नुकसान की खबरों के बीच सरकार का बोनस और समय पर खरीद योजना किसानों के लिए राहत के तौर पर देखी जा रही है. राज्य सरकार ने फिर से कहा कि वह किसानों की मदद के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए तैयार है.
झारखंड में कितना है धान का रकबा
बता दें कि धान झारखंड का एक प्रमुख फसल है. इसकी खेती राज्य के करीब सभी जिलों में होती है. ऐसे राज्य में धान की खेती लगभग 10 लाख हेक्टेयर में होती है और इसकी औसत पैदावार लगभग 1.2 टन प्रति हेक्टेयर है. 2022-23 में खरीफ सीजन में 8,55,084 हेक्टेयर में किसानों ने धान की खेती की थी. तब 19,09,626 टन धान की पैदावार हुई थी.