मिक्स ब्रीड का सूअर बढ़ा रहा पशुपालकों की कमाई, घर बैठे लाखों की कमाई में बदलेगा बिजनेस

देशी और विदेशी नस्ल के सूअर से विकसित की गई मिक्स ब्रीड नस्ल के सूअर पशुपालकों की खूब कमाई करा रहे हैं. कम लागत और कम समय में इनके बड़े होने से किसानों को बिक्री आसान हो रही है, जिससे तेजी से किसान इसे सूअर पालन को बिजनेस के रूप में अपना रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 6 Oct, 2025 | 01:34 PM

Pig Farming : आजकल आम आदमी की सबसे बड़ी चिंता है-कमाई कैसे बढ़ाई जाए? नौकरी-पेशा लोग हर महीने तय सैलरी में फंसे रहते हैं, वहीं खर्चे दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में लोग अब अपनी दूसरी आय का साधन बनाने लगे हैं, खासकर पशुपालन की तरफ तेजी से रुझान बढ़ा है. इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जो पशुपालन करने वालों या शुरू करने की सोच रहे लोगों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो सकती है. दरअसल, झारखंड में विकसित की गई झरसूक (Jharsuk) नाम की सुअर की नई नस्ल इन दिनों किसानों की कमाई को दोगुना ही नहीं बल्कि कई गुना तक बढ़ाने में मदद कर रही है. ऐसे में सूअर पालक किसान इस नस्ल को अपने बाड़े का हिस्सा बना रहे हैं.

झरसूक नस्ल किसने बनाई और क्यों है खास?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड की राजधानी रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने इस नई नस्ल को विकसित किया है. इसे स्थानीय देसी सुअर और विदेशी नस्लों  को मिलाकर तैयार किया गया है, ताकि यह तेजी से बढ़े, ज्यादा वजन करे और बेहतर मांस दे सके. वैज्ञानिकों के मुताबिक, झरसूक नस्ल के मांस में साधारण सुअर से ज्यादा प्रोटीन और कम फैट पाया जाता है. इसी वजह से इसकी मांग मार्केट में काफी बढ़ रही है, खासकर शहरों के रेस्टोरेंट और होटल वाले इसे ज्यादा दाम में खरीद रहे हैं.

झारखंड बना सुअर पालन का हॉटस्पॉट

यदि आप सोचते हैं कि सुअर पालन  सिर्फ गांवों तक सीमित है, तो यह आपकी गलतफहमी है. झारखंड आज देश में सुअर पालन के मामले में नंबर-1 राज्य माना जाता है. यहां न सिर्फ गांव के लोग, बल्कि युवा भी इसे प्रोफेशनल बिजनेस  की तरह कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई युवाओं ने सिर्फ 10 से 15 सुअर पालकर ही महीनों में लाखों की कमाई शुरू कर दी है. वजह साफ है- कम लागत, तेज वजन और जल्दी प्रजनन वाली नस्ल.

झरसूक नस्ल से होता है दोगुना से भी ज्यादा फायदा

झरसूक नस्ल के सुअर साधारण देसी सुअरों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ते हैं. जहां देसी सुअर को 8 से 10 महीने लगते हैं, वहीं झरसूक नस्ल सिर्फ 5 से 6 महीने में ही उतना वजन कर लेती है. एक स्वस्थ सुअर 100 से 120 किलो तक आराम से तैयार हो जाता है. इतना ही नहीं, एक सुअर हर 6 महीने में 8 से 12 बच्चों का झुंड भी दे देता है. यानी एक बार पालन शुरू किया तो कमाई का सिलसिला रुकता नहीं. वैज्ञानिकों का मानना है कि झरसूक जैसी संकर नस्ल अपनाने पर किसान चार गुना तक अधिक लाभ कमा सकते हैं.

pig Farming

झरसूक नस्ल (Photo Credit- Canva)

सुअर पालन क्यों है सबसे सस्ता बिजनेस?

अगर आप कम पूंजी में कोई बढ़िया व्यापार शुरू करना चाहते हैं, तो सुअर पालन (Pig Farm Business) आपके लिए सबसे शानदार विकल्प है. एक छोटे सुअर (पिगलेट) को सिर्फ 3 से 4 हजार रुपये में खरीदा जा सकता है और मात्र 6 महीने में वही 12 से 15 हजार रुपये में बिक जाता है. इसका दाना भी महंगा नहीं पड़ता क्योंकि बचा-खुचा खाना भी खिलाया जा सकता है. जमीन की बात करें तो 10×10 फीट की जगह में आराम से 3 से 4 सुअर पाले जा सकते हैं. कम जगह, कम खर्च और तेजी से होने वाली कमाई के कारण युवा इसे बड़े उत्साह के साथ अपना रहे हैं.

कैसे शुरू करें झरसूक नस्ल का पालन?

अगर आप झरसूक नस्ल (Jharsuk Pig Breed) के सुअर पालन की शुरुआत करना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपने नजदीकी पशुपालन विभाग  या रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क करें. यहां से आपको ट्रेनिंग, तकनीकी जानकारी और अच्छी गुणवत्ता वाले पिगलेट आसानी से मिल जाते हैं. साथ ही केंद्र सरकार भी सुअर पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाती है. अधिकांश राज्यों में सुअर शेड बनाने, पिगलेट खरीदने और दाने के खर्च पर 50 से 70 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है. यानी थोड़े से निवेश में आप सरकारी मदद लेकर एक स्थायी और मुनाफेदार व्यवसाय शुरू कर सकते हैं.

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Published: 6 Oct, 2025 | 01:20 PM

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