खेती और पशुपालन भारत के किसानों की आय का मुख्य जरिया रहा है. पहले किसान केवल देसी या बॉयलर मुर्गी का पालन करते थे, लेकिन अब समय के साथ रुझान बदल रहा है. आज मार्केट में विदेशी नस्ल की मुर्गियों की मांग तेजी से बढ़ रही है. इनमें सबसे लोकप्रिय है टर्किश मुर्गी, जो बाकी मुर्गियों से अलग और खास है. इसकी ग्रोथ रेट बहुत तेज होती है और इसका मांस तथा अंडे दोनों बाजार में महंगे दाम पर बिकते हैं. यही वजह है कि यह नस्ल किसानों के लिए तगड़ा बिजनेस आइडिया साबित हो रही है.
टर्किश मुर्गी की खासियत
टर्किश मुर्गी बाकी नस्लों की तुलना में तेजी से बढ़ती है. सामान्य मुर्गी को मार्केट में आने में जहां कई महीने लग जाते हैं, वहीं टर्किश मुर्गी सिर्फ चार महीने में ही 6 से 7 किलो तक वजन हासिल कर लेती है. इसका वजन आम बॉयलर मुर्गी से लगभग तीन गुना ज्यादा होता है. इनकी खासियत यह भी है कि इनके अंडे आकार में बड़े और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. यही कारण है कि होटलों, रेस्टोरेंट्स और बड़े शहरों की मंडियों में इनकी जबरदस्त डिमांड रहती है.
पालन का आसान तरीका
इस नस्ल को पालने के लिए किसानों को ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती. सबसे पहले स्वच्छ और हवादार शेड बनाना चाहिए जिसमें पर्याप्त जगह हो. इनके लिए संतुलित आहार जरूरी है जिसमें मक्का, सोयाबीन, दाना और विटामिन सप्लीमेंट्स शामिल किए जा सकते हैं. साफ और ताजा पानी हमेशा उपलब्ध होना चाहिए. समय-समय पर वैक्सीनेशन कराना भी जरूरी है ताकि बीमारियों से बचाव हो सके. शुरुआती दिनों में तापमान का ध्यान रखना पड़ता है. सही देखभाल से ये मुर्गियां तेजी से तैयार हो जाती हैं और अच्छी कीमत दिलाती हैं.
मुनाफे का नया रास्ता
टर्किश मुर्गी का मांस हेल्दी और सॉफ्ट माना जाता है, जिसके कारण इसकी कीमत सामान्य मुर्गी से ज्यादा मिलती है. बाजार में एक मुर्गी आसानी से 500 से 800 रुपये तक बिक सकती है. यदि किसान एक यूनिट में 100 चूजे पालते हैं, तो चार महीने में उनका औसत वजन 6 किलो तक हो सकता है. इसके साथ ही अंडों की बिक्री से अतिरिक्त आय भी हो जाती है. शुरुआती निवेश थोड़ा ज्यादा हो सकता है, लेकिन कम समय में इसका फायदा दोगुना-तीन गुना तक मिल जाता है.
किसानों के लिए सुनहरा बिजनेस
आज के समय में लोग हेल्दी और प्रोटीन युक्त भोजन की तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. यही वजह है कि टर्किश मुर्गी की मांग आने वाले समय में और बढ़ेगी. छोटे स्तर से शुरू करके इसे बड़े स्तर तक ले जाया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी नस्ल की मुर्गी पालने से पहले किसानों को ट्रेनिंग लेनी चाहिए और आसपास के मार्केट का सर्वे करना जरूरी है. यदि पास में होटल, रेस्टोरेंट या पोल्ट्री मंडी है, तो बिक्री में आसानी होगी. सही देखभाल और मार्केटिंग के साथ यह बिजनेस किसानों की आमदनी को दिन-दूना रात-चौगुना बढ़ा सकता है.