ठंड में बकरी पालन से होगी पक्की कमाई, सही देखभाल से पूरे साल मिलेगा दूध और मुनाफा

ठंड के मौसम में बकरी पालन सही देखभाल के साथ किसानों के लिए मुनाफे का सौदा बन सकता है. संतुलित आहार, साफ शेड, नवजात बच्चों की सुरक्षा और समय पर टीकाकरण से दूध उत्पादन बना रहता है. कम पूंजी में स्थायी आमदनी के लिए बकरी पालन एक भरोसेमंद विकल्प है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 21 Dec, 2025 | 07:07 PM
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Goat Farming : गांवों में आज बकरी पालन तेजी से लोगों की पसंद बनता जा रहा है. कम खर्च, कम जगह और जल्दी मुनाफा मिलने की वजह से किसान और पशुपालक इसे भरोसेमंद रोजगार मान रहे हैं. खासकर ठंड के मौसम में अगर बकरियों की सही देखभाल की जाए, तो न सिर्फ बच्चों की मृत्यु दर कम होती है, बल्कि दूध उत्पादन और आमदनी भी बनी रहती है. ठंड में थोड़ी सी लापरवाही बकरी पालन को नुकसान में बदल सकती है, जबकि सही देखभाल इसे मुनाफे का सौदा बना देती है.

ठंड में क्यों जरूरी है खास देखभाल

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ठंड का मौसम बकरी पालन  के लिए सबसे संवेदनशील माना जाता है. इसी समय ज्यादातर बकरियां गर्भवती होती हैं या बच्चों को जन्म देती हैं. ठंड, नमी और ठंडी हवा से बकरियों की सेहत जल्दी बिगड़ सकती है. कई पशुपालक इस दौरान बकरियों को सिर्फ चरने के लिए छोड़ देते हैं, जिससे उन्हें पूरा पोषण नहीं मिल पाता. नतीजा यह होता है कि बकरियां कमजोर पड़ जाती हैं और दूध उत्पादन भी घट जाता है.

गर्भवती और दूध देने वाली बकरियों का रखें खास ध्यान

गर्भवती और दूध देने वाली बकरियों को ठंड में संतुलित दाना, मिनरल मिक्स और प्रोटीन युक्त आहार देना बेहद जरूरी होता है. साफ और गुनगुना पानी भी नियमित रूप से उपलब्ध कराना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पोषण की कमी से प्रसव के बाद बकरियों में कमजोरी आ जाती है और कई बार वे ठीक से खड़ी भी नहीं हो पातीं. इसलिए समय पर सही आहार देना बकरी पालन की सफलता की कुंजी है. इसके साथ ही जरूरी टीकाकरण भी समय  पर कराना चाहिए, ताकि गंभीर बीमारियों से बचाव हो सके.

नवजात बच्चों की सुरक्षा है सबसे अहम

ठंड में नवजात बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा निमोनिया  माना जाता है. ठंडी हवा और नमी से बचाने के लिए बकरी के शेड को सूखा, गर्म और हवा से सुरक्षित रखना जरूरी है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बच्चा पैदा होते ही उसे मां का पहला दूध यानी कोलोस्ट्रम जरूर पिलाना चाहिए. यही दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है. शुरुआती दिनों में बच्चे को दिन में तीन से चार बार दूध पिलाना जरूरी  होता है. इससे उसका वजन बढ़ता है और वह जल्दी मजबूत बनता है.

सही समय पर आहार और टीकाकरण से बढ़ेगी कमाई

करीब 18 से 20 दिन बाद बच्चों को हरी पत्तियां खिलाना शुरू किया जा सकता है और एक महीने की उम्र में थोड़ा पिसा हुआ दाना देना फायदेमंद रहता है. तीन महीने पूरे होने पर बच्चों का टीकाकरण  जरूर कराना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि सही देखभाल से बकरियों का दूध उत्पादन अच्छा रहता है और बाजार में बकरी के दूध की कीमत भी अच्छी मिलती है. यही वजह है कि सीमित पूंजी वाले किसानों के लिए बकरी पालन आत्मनिर्भर बनने का मजबूत जरिया बनता जा रहा है. ठंड में सही देखभाल अपनाकर पशुपालक पूरे साल दूध की धार और स्थायी आमदनी पा सकते हैं.

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