Garlic Market Rate: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के लहसुन किसानों की चिंता बढ़ गई है, क्योंकि देश के प्रमुख बाजारों में लहसुन की कीमतें लगातार गिर रही हैं. हालांकि, पिछले तीन वर्षों तक किसानों को लहसुन से अच्छी आमदनी हो रही थी, जिसके चलते इस बार भी उन्होंने बड़े स्तर पर इसकी खेती की और उपज को स्टोर भी किया. लेकिन अप्रैल में फसल कटाई के बाद कीमतें अब सिर्फ 25 से 70 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच अटकी हुई हैं. जबकि पिछले साल लहसुन का मंडी रेट 110 से 255 रुपये किलो तक था.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को उम्मीद थी कि मॉनसून आने के बाद कीमतों में कुछ बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. मई और जून गुजर गए और अब जुलाई में भी कोई सुधार नहीं दिख रहा है. ऐसे में किसान लहसुन बेचने से कतरा रहे हैं. अब स्थिति ऐसी हो गई है कि जिले के रोंहत, जशवी, हलहान, शिल्लाई, टिम्ब्बी, सराहन, नाराग, मंगरह, नया-पंजोरे, राजगढ़, गिरिपुल, नोहरधार, सांगरा, हरिपुरधार, काफोटा और नैनिधार जैसी कई बस्तियों में हजारों टन लहसुन घरों व अस्थायी गोदामों में पड़े हुए हैं.
भारी नुकसान की आशंका
सिरमौर जिले में सालाना एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लहसुन व्यापार होता है और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. लेकिन इस बार इतनी कम कीमतों के चलते किसान खेती का खर्च भी नहीं निकाल पाएंगे, मजदूरी तो दूर की बात है. कई किसान अब भारी नुकसान की आशंका जता रहे हैं.
पिछले साल इतना था मंडी भाव
वहीं, मॉनसून नजदीक आने से सिरमौर के लहसुन किसानों की चिंता और बढ़ गई है. अगर स्टोर किया गया लहसुन समय पर नहीं बिका, तो नमी के कारण वह खराब हो सकता है. साथ ही, ज्यादा आद्र्रता में रखे लहसुन में अंकुर निकलने लगते हैं, जिससे वह बिकने लायक नहीं रहता. बिंदोली गांव के किसान बिलम धमटा ने कहा कि पिछले साल एएए ग्रेड लहसुन चेन्नई, तमिलनाडु और गुजरात जैसे बाजारों में 165 से 255 रुपये किलो तक बिका था. इस बार गुणवत्ता अच्छी होने के बावजूद आधी कीमत पर भी खरीदार नहीं मिल रहे.
धीरे-धीरे बहुत कम होगा लहसुन का वजन
एक और परेशानी यह है कि जितनी देर लहसुन स्टोर में रखा रहता है, उसका वजन धीरे-धीरे घटता जाता है. इससे अगर बाद में भाव बढ़े भी, तो मुनाफा कम रह जाता है. किसानों ने लहसुन की खेती और भंडारण पर काफी पैसा लगाया है, इसलिए अगर बाजार में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें भारी नुकसान हो सकता है. ऐसे में स्थानीय किसान संगठन और कृषि संस्थाएं सरकार से मांग कर रही हैं कि सरकारी खरीद शुरू की जाए, बफर स्टॉक बनाया जाए या किसानों को अच्छे बाजार से जोड़ा जाए. अगर समय रहते राहत नहीं मिली, तो किसानों को लहसुन की खेती से भी मोहभंग हो सकता है.