महंगे कीटनाशकों को कहें बाय-बाय, घर पर ही बनाएं नीम से असरदार दवा

कीटों और रोगों से बचने के लिए किसान अक्सर रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जो न केवल महंगे होते हैं बल्कि मिट्टी, फसल और स्वास्थ्य तीनों के लिए हानिकारक साबित होते हैं. ऐसे में “नीम” एक ऐसा प्राकृतिक वरदान है जो किसानों के लिए सस्ता, सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प बनकर उभरा है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 8 Nov, 2025 | 09:38 AM

Organic Farming: भारत में खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा है. लेकिन आज किसान जिस बड़ी परेशानी से जूझ रहे हैं, वह है फसलों पर बढ़ते कीटों और रोगों का हमला. इनसे बचने के लिए किसान अक्सर रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं, जो न केवल महंगे होते हैं बल्कि मिट्टी, फसल और स्वास्थ्य तीनों के लिए हानिकारक साबित होते हैं. ऐसे में “नीम” एक ऐसा प्राकृतिक वरदान है जो किसानों के लिए सस्ता, सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प बनकर उभरा है. नीम से बने जैविक कीटनाशक न केवल फसलों को कीटों से बचाते हैं, बल्कि जमीन की उर्वरता भी बरकरार रखते हैं.

नीम – प्रकृति का वरदान

नीम को भारत में प्राचीन काल से औषधीय और कृषि उपयोगों के लिए जाना जाता है. इसकी पत्तियों, बीजों और निबौलियों में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कीटों के प्रजनन और खाने की क्षमता को रोक देते हैं. नीम से तैयार कीटनाशक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते और फसलों की गुणवत्ता को भी बनाए रखते हैं.

घर पर तैयार करें नीम का कीटनाशक

अगर किसान चाहे तो बहुत आसानी से नीम से जैविक कीटनाशक बना सकते हैं. इसके लिए बाजार से किसी रसायन की जरूरत नहीं होती.

  • सबसे पहले नीम की पकी हुई निबौलियां लें और उन्हें साफ पानी में 12 से 18 घंटे तक भिगो दें.
  • इसके बाद लकड़ी से हल्का दबाकर उनका गूदा और बीज अलग करें.
  • गूदे को छांव में सुखाकर बारीक पीस लें और उसका पाउडर बना लें.
  • अब इस पाउडर को एक पतले कपड़े की पोटली में बांधकर एक बाल्टी पानी में रातभर भिगो दें.
  • सुबह इस पोटली को निचोड़ लें और उस रस में हल्का साबुन (1%) मिला लें.
  • यह घोल छिड़काव के लिए तैयार है, जिसे आसानी से खेतों में छिड़का जा सकता है.

अनाज और दाल के भंडारण में नीम का कमाल

कई किसान फसल की कटाई के बाद सबसे बड़ी समस्या का सामना करते हैं भंडारण में कीड़े लगना.अगर आप नीम की सूखी पत्तियां अनाज में मिलाते हैं, तो घुन और कीड़े पास नहीं आते. भंडारण स्थान पर नीम की परत बिछाकर उसके ऊपर अनाज भरें, यह तरीका लंबे समय तक अनाज को सुरक्षित रखता है.

दालों के भंडारण में अगर एक किलो दाल में एक ग्राम नीम का तेल मिलाया जाए, तो कीड़ों का असर खत्म हो जाता है.
बीज के लिए दाल का उपयोग करना हो तो दो ग्राम नीम तेल मिलाना लाभकारी होता है, जिससे बीज खराब नहीं होते.

नीम आधारित कीटनाशक के फायदे

  • नीम से बना कीटनाशक पूरी तरह जैविक होता है. इसमें किसी तरह के जहरीले तत्व नहीं होते जो मिट्टी या पानी को नुकसान पहुंचाएं.
  • यह फसलों पर कीट, फफूंद और घुन के हमले को कम करता है और पौधों की बढ़त को भी बेहतर बनाता है.
  • सबसे खास बात यह है कि नीम हर गांव, हर खेत के आसपास आसानी से मिल जाता है यानी खर्च भी बहुत कम आता है.
  • इससे किसान को रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता, जिससे खेती की लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है.

रसायन मुक्त खेती की दिशा में बड़ा कदम

आज जब पूरी दुनिया जैविक खेती की ओर बढ़ रही है, नीम का यह उपयोग किसानों के लिए उम्मीद की किरण है. इससे न केवल उनकी फसलें सुरक्षित रहेंगी बल्कि मिट्टी की सेहत भी सुधरेगी. नीम से बना जैविक कीटनाशक केवल एक देसी नुस्खा नहीं, बल्कि टिकाऊ कृषि की दिशा में एक मजबूत कदम है.

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