खेती में रासायनिक कीटनाशकों के बढ़ते इस्तेमाल से जहां मिट्टी की सेहत बिगड़ती जा रही थी, वहीं अब जैविक कीटनाशकों ने किसानों को नई उम्मीद दी है. इनकी मदद से न सिर्फ फसलें सुरक्षित रह रही हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी हुई है. यही वजह है कि किसानों के उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी पहचान मिल रही है. जैविक कीटनाशक केवल नुकसान करने वाले कीटों पर असर डालते हैं, जबकि मित्र कीट सुरक्षित रहते हैं. यही वजह है कि अब बड़ी संख्या में किसान इनका प्रयोग कर रहे हैं.
जैविक कीटनाशक अवशेष नहीं छोड़ते
जैविक कीटनाशकों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये प्रकृति से मेल खाते हैं. जब इन्हें खेत में डाला जाता है तो लगभग एक महीने के अंदर ये भूमि में घुलकर पूरी तरह समाप्त हो जाते हैं. इनके इस्तेमाल से मिट्टी में कोई हानिकारक रसायन नहीं बचता, जिससे जमीन की उर्वरता भी बनी रहती है. इस तरह से देखा जाए तो रासायनिक कीटनाशकों के विपरीत, जैविक विकल्प खेत की सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाते.
मित्र कीटों को बचाते हैं जैविक कीटनाशक
रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से कई बार खेत के मित्र कीट भी मारे जाते हैं, जो परागण या कीट नियंत्रण में मदद करते हैं. लेकिन जैविक कीटनाशक केवल उन्हीं कीटों पर असर डालते हैं जो फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे खेत का प्राकृतिक संतुलन बना रहता है. उदाहरण के लिए, ट्राइकोडर्मा जैसे जैविक कीटनाशक विशेष रूप से हानिकारक फंगस और बीमारियों को रोकने में कारगर हैं.
प्रतिरोधक क्षमता नहीं बढ़ने देते जैविक कीटनाशक
रासायनिक कीटनाशकों के लंबे इस्तेमाल से कीटों में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है, जिससे वे समय के साथ इन दवाओं के प्रति बेअसर हो जाते हैं. लेकिन जैविक कीटनाशकों में ऐसा नहीं होता. इनके लगातार प्रयोग से भी कीटों में सहनशीलता नहीं आती और ये लंबे समय तक प्रभावी बने रहते हैं. इससे किसानों को हर बार नए-नए रसायन ढूंढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती.
तुरंत कटाई की सुविधा से समय की बचत
जैविक कीटनाशकों के प्रयोग के तुरंत बाद फलियों, सब्जियों और फलों की कटाई की जा सकती है. इसके विपरीत रासायनिक कीटनाशकों के बाद अवशेष खत्म होने तक कुछ दिनों तक फसल को खेत में रखना पड़ता है. इस वजह से जैविक खेती में समय की भी बचत होती है और ताजा उत्पादन बाजार में जल्दी पहुंचता है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची मांग और सुरक्षित विकल्प
जैविक कीटनाशकों के सुरक्षित और हानिरहित होने के कारण जैविक खेती के उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त मांग है. जैविक तरीके से उगाई गई चाय, फल, सब्जियां, तिलहन और दालें विदेशों में ऊंचे दामों पर बिक रही हैं. इससे किसानों को अच्छी आमदनी मिल रही है. साथ ही, ये विषहीन होते हैं, इनसे आत्महत्या की घटनाएं भी न के बराबर होती हैं. पर्यावरण, पशु और इंसानों के लिए भी ये पूरी तरह सुरक्षित हैं.