हर सुबह तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाना, पानी देना और उसकी परिक्रमा करना ये न सिर्फ एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि देश की परंपरा भी है. तुलसी का पौधा केवल एक पवित्र पौधा नहीं, बल्कि हमारे जीवन, सेहत और घर की खुशहाली से जुड़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी सिर्फ एक ही नहीं होती? जी हां, रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, वन तुलसी और श्वेत तुलसी-ये सभी इसके अलग-अलग रूप हैं. तो चलिए आज जानते हैं रामा और श्यामा तुलसी में क्या फर्क है, किसे घर में लगाना बेहतर है और तुलसी की सही देखभाल कैसे करें.
रामा तुलसी
रामा तुलसी को आमतौर पर हरे रंग की पत्तियों वाली तुलसी के रूप में जाना जाता है. धार्मिक रूप से इसका बहुत महत्व है और इसे ‘लक्ष्मी तुलसी’ या ‘लकी तुलसी’ भी कहा जाता है. मान्यता है कि यदि इस तुलसी को घर में लगाया जाए, तो नकारात्मक ऊर्जा दूर भागती है और वातावरण में सकारात्मकता व शांति आती है. यही नहीं, इसे सुख-समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है, इसलिए कई लोग इसे आंगन या पूजा स्थल के पास लगाते हैं ताकि घर में शुभता बनी रहे.
श्यामा तुलसी
श्यामा या कृष्णा तुलसी की पत्तियां हल्के बैंगनी या गहरे हरे रंग की होती हैं और इसका औषधीय महत्व बेहद खास है. आयुर्वेद में इसे कई तरह की बीमारियों के इलाज में रामबाण माना गया है. खासतौर पर यह तुलसी सांस की तकलीफ, सर्दी-जुकाम, त्वचा रोगों और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत उपयोगी मानी जाती है. हालांकि पूजा में इसका उपयोग रामा तुलसी की तुलना में कम होता है, लेकिन घरेलू दवाओं और प्राकृतिक इलाज में यह अत्यधिक प्रभावशाली है. यही वजह है कि बहुत से लोग इसे अपने आंगन या बगिया में जरूर लगाते हैं, ताकि जरूरत के समय यह दवा के रूप में काम आ सके.
घर में कौन सी तुलसी लगाएं?
अगर आप पूजा और वास्तु शांति के लिए तुलसी लगाना चाहते हैं, तो रामा तुलसी सबसे शुभ मानी जाती है. अगर आप आयुर्वेदिक लाभ और स्वास्थ्य के लिए तुलसी का उपयोग करना चाहते हैं, तो श्यामा तुलसी बेहतर विकल्प है. लेकिन चाहें कोई भी तुलसी हो, दोनों ही फायदे का सौदा हैं.
तुलसी की देखभाल कैसे करें?
1. रोज पानी दें: सुबह तुलसी को साफ पानी दें, दिन में एक बार पानी देना जरूरी होता है.
2. पौधे को साफ रखें: सूखी पत्तियां या टूटी टहनियां हटा दें. पौधे के आस-पास साफ-सफाई बनाए रखें.
3. धूप में रखें: पौधे की अच्छी ग्रोथ के लिए उसे धूप वाली जगह रखें.
4. काटें नहीं, छांटें: तुलसी की पत्तियां तोड़ने का एक तरीका होता है. कभी भी नाखून से ना तोड़ें, हल्के से हाथ से निकालें ताकि पौधे को नुकसान न हो.
5.समय समय पर खाद दें: तुलसी के पौधे के पोषण के लिए इसमें हर दो महीने में खाद जरूर डालें.