पौधे जरूरत से ज्यादा लंबे हो रहे हैं तो हो जाएं सावधान, धान में हो सकता है इस खतरनाक रोग का संक्रमण

धान की फसल में बकानी रोग की पहचान के कुछ लक्षण हैं जैसे, इस रोग से प्रभावित पौधे अन्य पौधौं के मुकाबले ज्यादा लंबे और पतले हो जाते हैं. इस रोग के प्रकोप से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और आगे जाकर मुरझा कर झड़ जाती है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 29 Aug, 2025 | 06:52 PM

धान की खेती भारत के किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. देश में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है धान की फसल. मॉनसून सीजन की शुरुआत होने के साथ ही किसान खेतों में धान की रोपाई शुरु कर देते हैं. इस साल अच्छी बारिश होने के कारण किसान खुश हैं क्योंकि धान की फसल अच्छे से बढ़ रही है. लेकिन फसल के बढ़ने के साथ ही धान पर कीटों और रोगों का खतरा भी बढ़ रहा है. किसान अपनी फसल की देखभाल बहुत अच्छे से कर रहे हैं लेकिन फिर भी के रोगों के प्रकोप ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. धान की फसल में लगने वाले खतरनाक रोगों में से एक है झंडा रोग जिसे बकानी रोग भी कहते हैं. इस रोग के संक्रमण से धान की फसल की ग्रोथ रुक जाती है और पैदावार पर बुरा असर पड़ता है. जिससे किसानों के सामने भारी संकट खड़ा हो जाता है.

बकानी रोग के लक्षण

धान की फसल में बकानी रोग की पहचान के कुछ लक्षण हैं जैसे, इस रोग से प्रभावित पौधे अन्य पौधौं के मुकाबले ज्यादा लंबे और पतले हो जाते हैं. इस रोग के प्रकोप से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और आगे जाकर मुरझा कर झड़ जाती है. जिन पौधों में इस रोग का संक्रमण होता है उनकी जड़ों भूरी या काले रंग की हो जाती हैं और पौधे का विकास रुक जाता है. इस रोग का प्रभाव फसल पर इतना ज्यादा होता है कि कुछ पौधे अंकुरण के दौरान ही मर जाते हैं. इसके अलावा इस रोग के प्रभाव से कई बार खेत में खाली जगह भी बन जाती है.

रोग लगने के मुख्य कारण

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बकानी रोग एक फफूंद जनित रोग है. धान की फसल में बकानी रोग का संक्रमण होने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे-

  • बुवाई से पहले बीजों का सही से उपचार न होना
  • नर्सरी में गंदे पानी के कारण पौधों में फफूंद लग जाना
  • जरूरत से ज्यादा नमी होने के कारण फफूंद का तेजी से बढ़ना और बकानी रोग का संक्रमण होना
  • एक ही खेत में कई बार धान की फसल को लगाना

किसान इस तरह करें बचाव

धान की फसल को बकानी रोग से बचाने के लिए किसानों को सलाह जी जाती है कि वे पौधों पर कवकनाशी का दवा का इस्तेमाल करें. इसके लिए किसान प्रति एकड़ की दर से 500 ग्राम टेबुकोनाजोल और सल्फर को बालू या मिट्टी में मिलाकर खेत में बिखेर दें. लेकिन इस दवा का इस्तेमाल करते समय किसानों को इस बात का खयाल रखना होगा कि वे इस दवा का इस्तेमाल तभी करें जब खेत में पानी भरा हो, ताकि दवा का असर बेहतर तरह से हो सके.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 29 Aug, 2025 | 06:52 PM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?