आज के समय में किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ फूलों की खेती भी बड़े पैमाने पर कर रहे हैं. बाजार में फूलों की मांग सालभर बनी रहती है जिसके कारण किसानों की आमदनी भी अच्छी होती है. इन फूलों में से एक है गेदा का फूल जिसकी खेता बड़े पैमान पर देशभर में होती है. भारतीय संस्कृति में कोई भी आयोजन गेंदे के फूल के बिना अधूरा रहता है. लेकिन कई बार किसी लापरवाही के कारण या सही से देखभाल न होने के कारण गेंदे की फसल पर रोगों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा होने पर न केवल फसल बर्बाद होती है बल्कि किसानों को भी भारी नुकासन उठाना पड़ता है. इसलिए किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते इन रोगों के लक्षण पहचान कर फसल को बचाने के तरीके अपना लें.
फफूंद से सड़ने लगता है पौधा
गेंदे की पत्तियों पर धब्बे बनना, पौधों को सड़ना और सूखना आम बात है. फूलों में ये बदलाव फफूंद जनित रोगों के कारण होते हैं. इन रोगों के कारण फूलों की ग्रोथ में कमी आने लगती है और पौधों का विकास रुक जाता है. फफूंद जनित रोगों से गेंदे की फसल को बचाने के लिए किसानों को सबसे पहले पौधे के संक्रमित हिस्सों को हटाकर तुरंत अलग कर दें. इसके अलावा मैनकोजेब या कार्बेन्डाजिम जैसी फफूंदनाशक दवाओं का इस्तेमाल करें. किसानों को ध्यान रखना होगा कि खेत में जल निकासी की अच्छा इंतजाम हो और पानी को जमा न होने दें.
मोजेक वायरस से कमजोर होता है पौधा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोजेक वायरस एक ऐसा रोग है जो आमतौर पर आपको कई तरह की फसलों पर देखने को मिलेगा. ये एक वायरस जनित रोग है जिसके संक्रमण से पत्तियों पर हल्के और गहरे हरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं. इसके संक्रमण से पौधा कमजोर होने लगता है और ग्रोथ रुक जाती है. विशेष रूप से मोजेक वायरस सफेद मक्खी और एफिड जैसे कीटों के कारण फैलता है. इस रोग से गेंदे की फसल को बचाने के लिए जरूरी है कि किसान संक्रमित हिस्से को हटाकर अलग कर दें और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव जरूर करें.
पाउडरी मिल्डयू से करें बचाव
अगर आपको गेंदे की पत्तियों पर पाउडर जैसी सफेद परत दिखाई दे तो ये एक फफूंद जनित रोग के संक्रमण का संकेत हैं, जिसे पाउडरी मिल्ड्यू कहते हैं. इस रोग से गेंदे के फूलों को बचाने के लिए फसल पर सल्फर आधारित फफूंदनाशक का छिड़काव करें. इस रोग के अलावा डम्पिंग ऑफ रोग भी होता है जो कि गेंदे के छोटे पौधों पर हमला करता है. बता दें कि ये रोग गेंदे की नर्सरी तैयार करते समय ही फैल सकता है. डम्पिंग ऑफ रोग से गेंदे की फसल को बचाने के लिए जरूरी है कि फसल में ज्यादा नमी न होने दें , साथ ही खेती के लिए गेंदे की उन्नत किस्मों का चुनाव करें.