Buffalo Farming:- आज के समय में भैंस पालन सिर्फ घरेलू जरूरतों को पूरा करने का साधन नहीं रहा, बल्कि यह अब एक कमाई का जरिया बन गया है. खासतौर पर गांवों में किसान दूध उत्पादन के लिए भैंस पालते हैं और अब यह काम डेयरी उद्योग से जुड़कर बड़ा व्यवसाय भी बनता जा रहा है. लेकिन भैंस पालन में कई बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे सही नस्ल का चुनाव, संतुलित आहार और साफ-सफाई. अगर इन बातों का सही से पालन किया जाए, तो दूध का उत्पादन भी अच्छा होता है और कमाई भी बढ़ती है.
दूध के लिए सबसे ज्यादा भैंस का पालन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दूध उत्पादन में भैंस की भागीदारी सबसे ज्यादा है. कुल दूध उत्पादन में लगभग 55 फीसदी हिस्सा सिर्फ भैंस के दूध का होता है. बाकी 45 प्रतिशत हिस्सा गाय, बकरी और अन्य पशुओं से आता है. भैंस का दूध बाकी पशुओं के मुकाबले ज्यादा गाढ़ा और पौष्टिक होता है, इसलिए इसकी मांग भी ज्यादा होती है. यही कारण है कि किसान अब गाय के मुकाबले भैंस पालन को ज्यादा प्राथमिकता देने लगे हैं.
भैंस की कौन सी नस्ल है सबसे बेहतर?
जब कोई किसान या व्यक्ति भैंस खरीदने जाता है, तो उसका सबसे पहला सवाल यही होता है कि भैंस कितना दूध देती है. लेकिन इसका सीधा जवाब उसकी नस्ल पर निर्भर करता है. भारत में कई नस्ल की भैंसें (India Best Buffalo Breeds) पाई जाती हैं, जैसे-
- मुर्रा
- सुरती
- जाफराबादी
- मेहसाना
- भदावरी
- पंढरपुरी
- चिल्का
इनमें से मुर्रा नस्ल की भैंस को सबसे अच्छी माना जाता है. यह दूध की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में ही सबसे बेहतर होती है. यही कारण है कि मुर्रा भैंस को डेयरी फार्मिंग के लिए सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है.
दूध का उत्पादन सीधे जुड़ा है भैंस के खानपान से
कई लोग सोचते हैं कि नस्ल अच्छी हो तो दूध अपने आप ज्यादा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं है. भैंस का आहार भी उतना ही जरूरी होता है. अगर भैंस को सही और पर्याप्त चारा नहीं मिलेगा, तो उसकी सेहत पर असर पड़ेगा और दूध भी कम होगा.
यहां कुछ जरूरी बातें हैं जो भैंस के आहार को लेकर ध्यान में रखनी चाहिए:-
- एक भैंस को रोजाना लगभग 20 से 25 किलो चारा चाहिए
- हरे चारे, दाने, खली और चोकर का संतुलित मिश्रण देना जरूरी है
- रेशे युक्त दाना भैंस के लिए पचाने में आसान होता है
- किसी भी गंदे या खराब चारे से भैंस को बचाएं
- भैंस को उसकी उम्र और वजन के हिसाब से ही आहार दें
- अगर आहार संतुलित होगा, तो दूध उत्पादन भी संतोषजनक होगा.
स्वस्थ और साफ-सुथरा वातावरण भी जरूरी
भैंस का स्वास्थ्य केवल आहार से नहीं, बल्कि उसके रहने के माहौल से भी जुड़ा होता है. अगर भैंस गंदे वातावरण में रहती है, तो वह बीमार पड़ सकती है और दूध कम कर देगी. इसलिए भैंस के रहने की जगह को साफ-सुथरा और हवादार रखना जरूरी है. भैंस को समय-समय पर नहलाना, साफ पानी पिलाना और बीमारियों से बचाने के लिए वैक्सीनेशन करवाना भी जरूरी है. अगर भैंस खुश और स्वस्थ रहेगी, तभी वह ज्यादा और अच्छा दूध दे सकेगी.
कमाई का अच्छा जरिया बन रहा है भैंस पालन
आज भैंस पालन छोटे किसानों से लेकर बड़े डेयरी उद्योगों तक फैल चुका है. अगर कोई किसान सिर्फ 1-2 अच्छी नस्ल की भैंस भी पालता है, तो वह अपने घर की जरूरत के साथ-साथ अच्छी कमाई भी कर सकता है. भैंस का दूध बाजार में ज्यादा कीमत में बिकता है और उससे पनीर, घी, दही जैसे प्रोडक्ट बनाकर अतिरिक्त आमदनी की जा सकती है. इसके अलावा, अगर किसान भैंस का पालन सही तरीके से करता है, तो वह सरकारी योजनाओं और लोन का भी फायदा उठा सकता है.