गोकुल मिशन से बढ़ा दूध उत्पादन, देशी गाय-भैंसों की नस्लों में हो रहा बड़ा सुधार

गोकुल मिशन के तहत देशी गायों और भैंसों की नस्लों में सुधार के लिए उन्नत तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. इससे दूध उत्पादन तेजी से बढ़ा है और करोड़ों किसान लाभान्वित हुए हैं. यह मिशन पशुपालन को लाभकारी और आधुनिक बना रहा है.

Kisan India
नोएडा | Published: 21 Sep, 2025 | 05:10 PM

Gokul Mission: भारत एक बार फिर दुग्ध क्रांति की राह पर है और इस बार वजह है केंद्र सरकार का राष्ट्रीय गोकुल मिशन. इस मिशन का मकसद है देशी नस्लों की गाय-भैंसों को संरक्षित करना, उनकी उत्पादकता बढ़ाना और किसानों को ज्यादा आमदनी दिलाना. यह पहल न केवल किसानों के जीवन को बदल रही है, बल्कि भारत को दुनिया में सबसे तेज़ दूध उत्पादन करने वाला देश भी बना रही है.

दूध उत्पादन में हुआ जबरदस्त इजाफा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 2014-15 में एक पशु से औसतन सालभर में 1640 किलो दूध मिलता था, जो अब 2023-24 में बढ़कर 2072 किलो हो गया है. ये लगभग 26.34 फीसदी की बढ़ोतरी है. देशी और गैर-वर्णित नस्लों की दुग्ध उत्पादकता भी 927 किलो से बढ़कर 1292 किलो हो गई है, यानी 39.37 फीसदी की बढ़त. भैंसों की बात करें तो, उनका औसत दूध उत्पादन 1880 किलो से बढ़कर 2161 किलो तक पहुंच चुका है. देश का कुल दूध उत्पादन 2014-15 में 146.31 मिलियन टन था, जो 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है- ये 63.55 प्रतिशत की बढ़त है.

गोकुल मिशन के जरिए नस्लों में सुधार

देशी नस्लों जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर, राठी और हरियाणा जैसी गायों के संरक्षण और सुधार पर खास ध्यान दिया जा रहा है. अब तक 4343 हाई जेनेटिक क्वालिटी के सांड तैयार किए जा चुके हैं, जिनसे बेहतर नस्ल का वीर्य लिया जा रहा है. इससे देशी नस्लों की ताकत और उत्पादन दोनों में सुधार हो रहा है.

कृत्रिम गर्भाधान से बढ़ी उम्मीदें

जिन क्षेत्रों में पहले कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) की सुविधा सीमित थी, वहां राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत विशेष अभियान चलाकर इस सेवा का विस्तार किया गया है. अब तक 9.16 करोड़ पशुओं को इस योजना के अंतर्गत कवर किया जा चुका है और 14.12 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान सफलतापूर्वक किए गए हैं. इससे 5.54 करोड़ से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिला है. इस तकनीक के जरिए बेहतर आनुवंशिक गुणों वाले पशुओं का जन्म हो रहा है, जो अधिक दूध उत्पादन करते हैं. इसके परिणामस्वरूप किसानों की आमदनी में वृद्धि हुई है और दुग्ध व्यवसाय अधिक लाभकारी बन रहा है.

आईवीएफ और लिंग चयन तकनीक का इस्तेमाल

गोकुल मिशन (Gokul Mission) में आधुनिक तकनीकों का भरपूर उपयोग किया जा रहा है. आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) तकनीक की मदद से उच्च गुणवत्ता वाले बछड़े पैदा किए जा रहे हैं, जिससे नस्ल सुधार तेज़ी से हो रहा है. वहीं, लिंग चयन तकनीक से मादा बछड़ों का जन्म अधिक संख्या में हो रहा है, जिससे देशी गायों की संख्या और दूध उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसके अलावा, जीनोमिक सिलेक्शन तकनीक का इस्तेमाल कर श्रेष्ठ आनुवंशिक गुणों वाले पशुओं की पहचान और प्रजनन किया जा रहा है, जिससे नस्ल सुधार की प्रक्रिया और अधिक प्रभावी हो रही है.

गांव-गांव में सेवाएं, घर बैठे सुधार

मिशन का एक बड़ा फोकस ग्रामीण इलाकों में सेवाएं पहुंचाने पर है. इसके लिए 38,736 बहुउद्देशीय तकनीशियन तैयार किए गए हैं. ये तकनीशियन घर-घर जाकर कृत्रिम गर्भाधान और अन्य पशु स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं. इससे गांव के किसानों को समय पर और मुफ्त सेवाएं मिल रही हैं.

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Published: 21 Sep, 2025 | 05:10 PM

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