देशी गाय-भैंस पालने वाले किसानों को मिलेगा बड़ा सम्मान, पांच लाख तक इनाम पाने का मौका

देशी गाय-भैंसों का पालन करने वाले किसानों और पशुपालकों के लिए सरकार ने राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार की घोषणा की है. तीन श्रेणियों में दिए जाने वाले इस पुरस्कार के लिए 15 सितंबर तक ऑनलाइन आवेदन किए जा सकते हैं.

नोएडा | Published: 9 Sep, 2025 | 09:24 PM

गांव के किसान और पशुपालक अब सिर्फ दूध नहीं, सम्मान भी कमा सकते हैं. देशी गाय-भैंस पालने वालों के लिए अब एक शानदार मौका है खुद को साबित करने का. सरकार ने राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए आवेदन मांगे हैं. यह पुरस्कार उन लोगों को मिलेगा जो देशी नस्ल की गाय-भैंसों का पालन करते हैं और डेयरी क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रहे हैं. इस पहल से न सिर्फ पशुपालकों को सम्मान मिलेगा, बल्कि देशी नस्लों के संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. तो चलिए, जानते हैं इस खास पुरस्कार से जुड़ी जरूरी बातें-

तीन श्रेणियों में मिलेगा पुरस्कार, इनाम 5 लाख रुपये तक

सरकार की ओर से यह पुरस्कार तीन अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाएगा. इन श्रेणियों में चयनित होने वाले प्रतिभागियों को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की राशि पुरस्कार के रूप में दी जाएगी. यह सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि पशुपालकों के काम को देशभर में पहचान दिलाने वाला सम्मान है. इससे आने वाली पीढ़ियां भी पशुपालन और देशी नस्लों के महत्व को समझेंगी.

देशी नस्लें क्यों हैं खास?

देशी गाय और भैंसें भारतीय जलवायु और परंपरागत खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती हैं. इनके दूध में पोषक तत्व अधिक होते हैं और रोगों से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता भी ज्यादा होती है. यही वजह है कि देशी नस्लों का दूध बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए भी फायदेमंद होता है. इन पशुओं को पालना भी आसान होता है, क्योंकि इन पर दवाओं और डॉक्टरों का खर्च कम आता है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया सहारा

पशुपालकों के लिए यह पुरस्कार योजना एक प्रेरणा बनेगी. इससे गांव-गांव में देशी नस्लों को पालने का रुझान बढ़ेगा और दूध उत्पादन में गुणवत्ता के साथ वृद्धि होगी. सरकार की योजना है कि वैज्ञानिक प्रबंधन, उन्नत तकनीक और देशी नस्लों के सही पालन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाए. इससे किसान की आमदनी भी बढ़ेगी और आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा.

अब हर गांव से चमकेगा एक सितारा

राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार की सबसे खास बात यह है कि यह गांव-गांव के उन मेहनती लोगों को भी मंच देगा जो चुपचाप पशुपालन कर रहे हैं. अब हर ढाणी, हर टोले से एक नई उम्मीद की किरण निकलेगी. यह पुरस्कार सिर्फ सम्मान नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है देशी नस्लों के सुनहरे भविष्य की.

कौन कर सकता है आवेदन?

इस सम्मान के लिए वो किसान और पशुपालक आवेदन कर सकते हैं जो भारत की 53 देशी नस्लों की गायों या 20 देशी नस्लों की भैंसों में से किसी एक का पालन करते हैं. गायों की प्रमुख नस्लों में गिर, साहीवाल, राठी, थारपारकर और कांकरेज जैसी नस्लें आती हैं. वहीं, भैंसों में मुर्रा, जाफराबादी, मेहसाणा और बनारसी नस्लें शामिल हैं. खास बात यह है कि सिर्फ किसान ही नहीं, कृत्रिम गर्भाधान (AI) तकनीशियन भी इस पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकते हैं.

आवेदन की आखिरी तारीख: 15 सितंबर
वेबसाइट: awards.gov.in

Published: 9 Sep, 2025 | 09:24 PM