अब पशुपालन से जुड़े किसान और पशुधन पालक अपने मवेशियों की नस्ल सुधारना चाहते हैं, तो उनके लिए एक सरल और प्रभावी उपाय है-कृत्रिम गर्भाधान. बिहार सरकार का पशुपालन निदेशालय इस तकनीक को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए तेजी से काम कर रहा है.
इस प्रक्रिया के जरिए अब छोटे किसान भी अपनी गाय-भैंस जैसी मादा पशुओं से ज्यादा दूध उत्पादन वाली संतान पा सकते हैं, वो भी बिना किसी बड़े खर्च के. आइए आसान भाषा में समझते हैं कृत्रिम गर्भाधान क्या है और इससे कैसे किसानों को फायदा हो रहा है.
क्या है कृत्रिम गर्भाधान?
कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) एक ऐसी तकनीक है जिसमें नर पशु से स्पर्म को इकट्ठा करके उसे प्रयोगशाला में जांचा जाता है और सुरक्षित रखा जाता है. जब मादा पशु (जैसे गाय या भैंस) गर्मी में आती है, तब यह वीर्य उसकी जनन नली में डाला जाता है ताकि वह गर्भवती हो सके. यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित, प्राकृतिक और वैज्ञानिक तरीके से होती है. इससे बीमारी फैलने का खतरा भी कम हो जाता है और अच्छी नस्ल के बछड़े पैदा होते हैं.
कैसे काम करता है यह सिस्टम?
सबसे पहले अच्छी नस्ल के स्वस्थ नर पशु से स्पर्म लिया जाता है. फिर इसे प्रयोगशाला में जांचा जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसमें कोई संक्रमण या खराबी न हो. इसके बाद इसे तरल नाइट्रोजन में-196 डिग्री सेल्सियस पर जमा दिया जाता है, जिससे वीर्य लंबे समय तक खराब नहीं होता. जब किसी मादा पशु में गर्भधारण का सही समय आता है (जिसे आम भाषा में गर्मी में आना कहते हैं), तब इस जमे हुए वीर्य को पिघलाकर एक खास यंत्र की मदद से मादा पशु की जननेन्द्रिय में डाला जाता है.
इससे क्या फायदा होता है किसानों को?
- उत्पादन बढ़ता है:- अच्छी नस्ल से जन्म लेने वाले बछड़े ज्यादा दूध देते हैं.
- खर्चा कम होता है:- अच्छे नर पशु पालने की जरूरत नहीं रहती, जिससे किसान को पैसा बचता है.
- बीमारियों का खतरा कम:- प्राकृतिक तरीके से मेल नहीं होने के कारण संक्रामक बीमारियां नहीं फैलतीं.
- गांवों में उपलब्ध:- अब यह सुविधा बिहार के ज़्यादातर गांवों में भी उपलब्ध है, जिससे हर किसान इसका लाभ उठा सकता है.
- सरकारी सहायता:- यह सेवा अक्सर सरकार द्वारा या नाममात्र शुल्क पर दी जाती है.
सरकार की योजना और पहुंच
बिहार सरकार के पशुपालन निदेशालय और पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कृत्रिम गर्भाधान को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. प्रशिक्षित पशु चिकित्सक और तकनीशियन अब गांवों में जाकर यह सेवा प्रदान कर रहे हैं. सरकार ने कई स्पर्म संग्रह केंद्र और सेमन बैंक बनाए हैं, जहां से अच्छा स्पर्म तैयार कर किसानों को मुहैया कराया जाता है. साथ ही, सरकार जागरूकता अभियान भी चला रही है ताकि किसान इस तकनीक को अपनाएं और अपने पशुपालन को लाभदायक बना सकें.
अब गांवों में भी मिल रही है आधुनिक सुविधा
पहले यह तकनीक सिर्फ शहरों या बड़े फार्मों तक सीमित थी, लेकिन अब बिहार सरकार ने इसे पंचायत स्तर तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है. मोबाइल यूनिट्स और गांवों में कैंप लगाकर पशुपालकों को यह सुविधा दी जा रही है. पशु चिकित्सकों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है ताकि वे समय पर सेवा दे सकें. इसके साथ-साथ पशुपालकों को यह भी बताया जा रहा है कि वे कैसे पहचानें कि उनका पशु गर्मी में आया है और कृत्रिम गर्भाधान के लिए तैयार है.