गायों में हर महीने 400 कृत्रिम गर्भाधान करा रहे नवीन, 90 फीसदी सक्सेस रेट से किसानों को मिला फायदा

हरियाणा के रोहतक निवासी नवीन ने सीमित साधनों से शुरुआत कर कुशल AI टेक्नीशियन के रूप में पहचान बनाई. वे हर महीने 400+ कृत्रिम गर्भाधान कर किसानों की आय बढ़ा रहे हैं और पशुओं की नस्ल सुधार में योगदान दे रहे हैं.

Saurabh Sharma
नोएडा | Updated On: 4 Aug, 2025 | 11:17 AM

हरियाणा के रोहतक जिले के एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले नवीन की कहानी आज देशभर के लिए प्रेरणा बन गई है. कभी सीमित संसाधनों और साधारण जीवन से शुरुआत करने वाले नवीन आज एक कुशल AI (Artificial Insemination) टेक्नीशियन बन चुके हैं, जो हर महीने 400 से 450 तक कृत्रिम गर्भाधान (AI) करते हैं. इस सफर में उन्होंने न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि किसानों की आय और मवेशियों की नस्ल सुधारने में भी अहम योगदान दिया है.

क्या होता है कृत्रिम गर्भाधान (AI)?

कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) पशुपालन की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें नस्ल सुधार के उद्देश्य से चयनित नर पशु के वीर्य को मादा पशु के गर्भाशय में डाला जाता है. यह प्रक्रिया प्राकृतिक तरीके से ज्यादा प्रभावी और नियंत्रित होती है. इससे बेहतर नस्लों का जन्म होता है, जिससे पशु की दूध देने की क्षमता और उत्पादन में वृद्धि होती है.इस प्रक्रिया से ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और किसानों को कम समय में ज्यादा लाभ मिल रहा है.

नवीन की सफलता की कहानी

नवीन बताते हैं, मैंने अब तक कुल 2600 AI किए हैं, जिनमें से 2400 से ज्यादा सफल रहे हैं. पिछले 7 सालों से मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं. उन्होंने गायों के साथ-साथ अब भैंसों का भी कृत्रिम गर्भाधान शुरू किया है और उनकी गर्भधारण दर में बढ़ोतरी हुई है. नवीन का मानना है कि किसान केवल प्राकृतिक तरीके पर निर्भर न रहें, बल्कि प्रशिक्षित AI वर्करों से संपर्क कर आधुनिक तकनीक का लाभ उठाएं. इससे पशु नस्लों में जैसे साइवाल, थार पारकर जैसी बेहतरीन ब्रीड्स को बढ़ावा मिलेगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी.

भारत में दूध उत्पादन और AI का महत्व

भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, जिसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य अग्रणी हैं. इस उत्पादन में वृद्धि का एक बड़ा कारण कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 85 फीसदी किसान छोटे और सीमांत हैं. उनके पास सीमित पशु होते हैं और नस्ल सुधार के जरिए दूध उत्पादन बढ़ाना उनके लिए आर्थिक मजबूती का जरिया बन रहा है. AI तकनीक के उपयोग से एक ओर जहां दूध की गुणवत्ता और मात्रा में इजाफा हो रहा है, वहीं दूसरी ओर पशु चिकित्सा खर्चों में भी कमी आई है.

अन्य युवाओं और किसानों के लिए प्रेरणा

नवीन जैसे युवाओं की सफलता इस बात का प्रमाण है कि तकनीक और मेहनत का मेल किसी भी व्यक्ति को आत्मनिर्भर बना सकता है. उन्होंने सिर्फ खुद का जीवन सुधारा, बल्कि सैकड़ों किसानों को भी उच्च नस्लीय पशु दिलवाकर उनकी आमदनी में बढ़ोतरी की है. वे किसानों को विशेष सलाह देते हैं कि केवल गर्भाधान कराना ही काफी नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाला स्पर्म और प्रशिक्षित AI वर्कर का चयन भी जरूरी है.

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Published: 4 Aug, 2025 | 10:31 AM

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