क्या आपके पशु बार-बार गर्भधारण में फेल हो रहे हैं? नई तकनीक से इलाज है मुमकिन

आजकल कई पशुपालकों को गर्भाधारण समस्या झेलनी पड़ रही है कि उन्होंने कई बार कृत्रिम गर्भाधान (A.I.) कराया, फिर भी पशु गर्भधारण नहीं कर रहा.

नोएडा | Updated On: 8 Aug, 2025 | 10:33 AM

अगर आप पशुपालक हैं और आपके पशु बार-बार गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत जरूरी है. आजकल कई पशुपालकों को यह समस्या झेलनी पड़ रही है कि उन्होंने कई बार कृत्रिम गर्भाधान (A.I.) कराया, फिर भी पशु गर्भधारण नहीं कर रहा. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बांझपन (Infertility) की स्थिति हो सकती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज संभव है. जरूरी है कि पशुपालक समय पर सही जानकारी लें और पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

क्या होता है पशु में बांझपन और क्यों होता है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट बताते हैं कि जब पशु की प्रजनन क्षमता में कमी आती है, तो उसे बांझपन कहते हैं. कई बार ऐसा होता है कि पशु 6 से 8 बार कृत्रिम गर्भाधान के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाता. इस स्थिति को रिपीट ब्रीडर कहा जाता है. इसका सीधा असर पशुपालक की आमदनी और पशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है.

सही समय पर कृत्रिम गर्भाधान है जरूरी

एक्सपर्ट का कहना है कि गर्भाधान में समय सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. जब पशु गर्मी में आता है, यानी उसके पिछले भाग से स्राव (discharge) होता है, उसी समय गर्भाधान करवाना चाहिए.

  1. गाय में यह प्रक्रिया आमतौर पर गर्मी आने के अगले दिन की जाती है.
  2. भैंस में यह समय थोड़ा कम होता है यानी 18 घंटे के भीतर कृत्रिम गर्भाधान करना चाहिए.
  3. यदि यह प्रक्रिया 9 घंटे के अंदर नहीं की जाती, तो गर्भधारण की संभावना काफी कम हो जाती है.

तीन बार प्रयास के बाद भी नहीं रुका गर्भ? तो समझें खतरे की घंटी

यदि किसी पशु में तीन बार कृत्रिम गर्भाधान के बाद भी गर्भ नहीं ठहर रहा है, तो यह प्रजनन से जुड़ी गम्भीर समस्या हो सकती है. ऐसी स्थिति में पशुपालकों को खुद से इलाज करने की बजाय सीधे पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. पशु चिकित्सक बच्चेदानी (uterus) और अंडाशय (ovary) की जांच कर सही कारण पताO कर सकते हैं और समय पर दवा व अन्य चिकित्सा दे सकते हैं.

समय पर इलाज से बचेगा नुकसान, बढ़ेगा मुनाफा

पशुपालकों को चाहिए कि वे पशुओं में प्रजनन संबंधी समस्या को हल्के में न लें. यदि समय रहते इलाज नहीं किया गया तो पशु दूध देना बंद कर देता है और उसका पोषण भी बिगड़ने लगता है. इससे पशुपालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है. समझदारी इसी में है कि पशु के लक्षण दिखते ही डॉक्टर से मिलें और जरूरी परीक्षण कराएं. इस तरह पशु को समय पर इलाज मिलेगा और प्रजनन क्षमता भी लौट सकती है.

Published: 8 Aug, 2025 | 09:00 AM