त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले महंगाई का असर दिखने लगा है. खास कर गेहूं की कीमतों में कुछ ज्यादा ही बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. अगर होलसेल रेट की बात करें, तो सबसे बड़ा उत्पादक राज्य पंजाब की मंडियों में गेहूं का रेट मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) से ज्यादा है. 20 अगस्त को शहीद भगत सिंह नगर (नवांशहर) की मंडियों में FAQ क्वालिटी के गेहूं का मिनिमम प्राइस 2500 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया, जो एमएसपी 2025-26 के 2,425 रुपये प्रति क्विंटल से 75 रुपये क्विंटल ज्यादा है. जबकि, मैक्सिमम रेट 2595 रुपये क्विंटल रहा, जो एमएसपी से 170 रुपये क्विंटल ज्यादा है.
Agmarknet के आंकड़ों के मुताबिक, इसी तरह 26 अगस्त को गेहूं का मिनिमम रेट बढ़कर 2600 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया, जो 20 अगस्त के रेट से 100 रुपये ज्यादा है. यानी महज 6 दिन में गेहूं का रेट 100 रुपये क्विंटल महंगा हो गया. खास बात यह है कि 26 अगस्त को मैक्सिमम और मॉडल प्राइस भी 2600 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया. ऐसे में जानकारों का कहना है कि दुर्गा पूजा और दिवाली आते-आते गेहूं का होलसेल रेट और बढ़ सकता है, जिसका असर रिटेल मार्केट पर भी पड़ेगा.
महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार का बड़ा कदम
एक्सपर्ट के मुताबिक, यही वजह है कि केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट तय कर दी है, ताकि गेहूं की कालाबाजरी पर लगाम लगाया जा सके. अगर गेहूं की खुदरा कीमत की बात करें, तो 26 अगस्त 2025 को गेहूं का औसत खुदरा भाव था 31.57 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया, जो पिछले साल इस समय 30.83 रुपये किलो था. यानी एक साल के अंदर ही गेहूं की कीमत में करीब एक रुपये किलो की बढ़ोतरी हो गई.
खुदरा कीमतों में हो रही लगातार बढ़ोतरी
वहीं, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि हाल के महीनों में गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है. इसके साथ ही यह चिंता भी बढ़ी है कि अगर व्यापारियों द्वारा बेधड़क स्टॉकिंग की गई, तो खुले बाजार में सप्लाई प्रभावित हो सकती है. इसी वजह से सरकार ने स्टॉक लिमिट को और सख्त किया है. सरकार का मकसद यह भी है कि त्योहारी सीजन से पहले एक सख्त संदेश दिया जाए, क्योंकि इस समय मांग में तेजी आती है. फिलहाल, मार्केट में आटे का दाम इस साल 36.86 रुपये प्रति किलो है, जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 35.77 रुपये किलो बिक रहा था. यानी आटे की कीमत में भी एक रुपये किलो से अधिक की बढ़ोतरी हुई है.