Tomato Price Hike: कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में टमाटर फिर महंगे होने वाले हैं और कीमतें जल्द ही 100 रुपये प्रति किलो के पार जा सकती हैं. अक्टूबर तक 15 किलो की अच्छी क्वालिटी वाली पेटी लगभग 500 रुपये में मिल रही थी, लेकिन अब कोलार APMC में ये पेटियां 800 से 900 रुपये तक नीलाम हो रही हैं. जबकि सबसे बेहतर क्वालिटी के टमाटर के दाम 900 से 950 रुपये तक पहुंच गए हैं. दाम बढ़ने की बड़ी वजह मांग के हिसाब से कम आवक और पिछले कुछ हफ्तों का अनियमित मौसम है. ऐसे बेंगलुरु में रोजाना 3,000 टन टमाटर की जरूरत है, लेकिन कोलार मंडी में करीब 2,500 टन ही पहुंच पा रहा है.
दक्षिण भारत में खट्टे स्वाद वाली स्थानीय किस्में आज भी सबसे ज्यादा पसंद की जाती हैं, जबकि उत्तर भारत में हाइब्रिड टमाटर की मांग अधिक है. कोलार के थोक व्यापारी नारायणस्वामी के मुताबिक, बेंगलुरु और तमिलनाडु के छोटे खाने-पीने के ठिकाने ज्यादातर स्थानीय टमाटर लेते हैं. जबकि ज्यादा दिनों तक टिकने वाली हाइब्रिड किस्में उत्तर और पूर्व भारत भेजी जाती हैं. वे कहते हैं कि अगर अचानक पूर्वी तट और पूर्वोत्तर में बादल छा जाने की स्थिति नहीं बनी होती, तो कीमतें अब तक 100 रुपये प्रति किलो पार कर चुकी होतीं.
इन राज्यों में होती है टमाटर की सप्लाई
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कोलार APMC के थोक व्यापारी सी.आर. श्रीनाथ के मुताबिक, पिछले दिनों बादल और हल्की बारिश की वजह से मांग थोड़ी कम हो गई थी, लेकिन अगले हफ्ते से धूप निकलने की उम्मीद है, जिससे दाम फिर बढ़ सकते है. कोलार में टमाटर की आवक थोड़ी घटी है, जबकि देशभर में मांग बढ़ रही है. यही बढ़ता अंतर आगे कीमतें और ऊपर ले जा सकता है. कोलार APMC से बड़ी मात्रा में टमाटर महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों को भेजे जाते हैं.
खेती और पैदावार दोनों प्रभावित हो रहा है
APMC के सचिव किरण के अनुसार, पिछले दो दिनों में मौसम बदलने से आवक पर असर पड़ा है. कोलार मार्केट को ज्यादातर टमाटर कोलार जिला, चित्रदुर्गा, तुमकुरु, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों और थोड़ी मात्रा में तमिलनाडु से मिलते हैं. कई सब्जियों के मुकाबले टमाटर जल्दी खराब हो जाते हैं, इसलिए इन्हें संभालकर रखना और स्टोर करना मुश्किल होता है. ऊपर से अनियमित बारिश और बदलता तापमान खेती और पैदावार दोनों को प्रभावित कर रहा है.
10,000 हेक्टेयर जमीन पर टमाटर की खेती
कोलार में ही करीब 10,000 हेक्टेयर जमीन पर टमाटर की खेती होती है. लेकिन मौसम में लगातार उतार-चढ़ाव के कारण कई किसानों ने टमाटर छोड़कर मक्का और फूलों जैसी दूसरी फसलों की ओर रुख कर लिया, जिससे उत्पादन घट गया. बागवानी विभाग के सहायक सांख्यिकीय अधिकारी गोविंदप्पा बताते हैं कि दूसरी फसलें टमाटर की तुलना में सस्ती और आसान होती हैं, क्योंकि टमाटर में खर्च और देखभाल दोनों ज्यादा है. कोलार जिला क्रेडिट कोऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष बायलहल्ली एम. गोविंदा गौड़ा का कहना है कि मक्का जैसी फसलों में रोग नियंत्रण की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती और इन्हें लंबे समय तक स्टोर भी किया जा सकता है, ताकि अच्छे दाम मिलने पर बेचा जा सके.