कोको डे मेर: 40 किलो तक भारी और लाखों में बिकता है ये अनोखा नारियल

कोको डे मेर नारियल केवल आम नारियल जितना बड़ा नहीं बल्कि इसकी विशालता देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. यह नारियल औसतन 25 किलो का होता है, जबकि कुछ दुर्लभ मामलों में इसका वजन 40 किलो तक पहुंच जाता है.

नई दिल्ली | Published: 2 Sep, 2025 | 03:31 PM

दुनिया में नारियल सिर्फ स्वाद और सेहत के लिए ही नहीं बल्कि अपनी अनोखी किस्मों के लिए भी प्रसिद्ध है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा नारियल भी है जिसकी कीमत लाखों में पहुंच जाती है और आकार देखकर लोग दंग रह जाते हैं? इसे कोको डे मेर या डबल कोकोनट कहा जाता है, और यह सिर्फ सेशेल्स द्वीपसमूह में पाया जाता है.

आकार और वजन में विशाल

कोको डे मेर नारियल केवल आम नारियल जितना बड़ा नहीं बल्कि इसकी विशालता देखकर हर कोई हैरान रह जाता है. यह नारियल औसतन 25 किलो का होता है, जबकि कुछ दुर्लभ मामलों में इसका वजन 40 किलो तक पहुंच जाता है. इसकी लंबाई लगभग आधे मीटर तक हो सकती है. इतना बड़ा और भारी नारियल दुनिया में कहीं और नहीं पाया जाता.

कीमत लाखों में

कोको डे मेर की कीमत इसके आकार और दुर्लभता के कारण बेहद ऊंची है. आज के समय में एक नारियल की कीमत 50 हजार रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक हो सकती है. इसकी महंगी कीमत का कारण यह है कि यह नारियल केवल सेशेल्स की कुछ ही द्वीपों पर उगता है. यही कारण है कि इसे IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त प्रजाति (Endangered Species) में शामिल किया गया है.

रहस्यमयी इतिहास

कोको डे मेर का इतिहास भी उतना ही रोमांचक है जितना इसका आकार. 15वीं शताब्दी में जब यूरोपीय नाविकों ने इसे पहली बार देखा, तो उन्हें लगा कि यह नारियल समुद्र की गहराइयों से आता है. कई सालों तक इसे समुद्र का खजाना समझा जाता रहा. पुर्तगाली नाविक इसे “मालदीव का नारियल” कहते थे.

18वीं सदी में फ्रांसीसी और ब्रिटिश खोजकर्ताओं ने इसका असली रहस्य उजागर किया. इसके बाद भी सदियों तक कोको डे मेर के बारे में तरह-तरह की कहानियां चलती रहीं. कभी इसे जादुई औषधि माना गया, तो कभी इसे स्वर्ग का फल कहा गया. कहा जाता था कि इसके चूर्ण से बुखार और अस्थमा जैसी बीमारियां ठीक की जा सकती हैं. ब्रिटिश प्रशासक चार्ल्स गार्डन ने तो इसे बाइबल का निषिद्ध फल तक घोषित कर दिया.

आज केवल 8,000 पेड़ बचे

आज विशालकाय कोको डे मेर नारियल सेशेल्स का राष्ट्रीय प्रतीक बन चुका है. इसके पेड़ों की संख्या केवल 8,000 के आसपास रह गई है. इन्हें बचाने के लिए सरकार ने कड़े नियम लागू किए हैं. पेड़ों और नारियल बीजों की निगरानी की जाती है, और चोरी से बचाने के लिए कभी-कभी इन्हें लोहे के पिंजरों में रखा जाता है.

कोको डे मेर केवल नारियल नहीं बल्कि प्रकृति का अद्भुत उपहार और सांस्कृतिक धरोहर है. इसकी दुर्लभता, आकार और इतिहास इसे दुनिया का सबसे खास और महंगा नारियल बनाते हैं.