Goat Farming : अगर कोई आपसे कहे कि सिर्फ 5 महीने में आपकी कमाई दोगुनी नहीं, बल्कि तीन गुना हो सकती है, वो भी बिना बड़ी मशीनों और ज्यादा खर्च के तो क्या आप यकीन करेंगे? सुनने में भले ही ये किसी बड़े बिजनेस प्लान जैसा लगे. लेकिन हकीकत में सिरोही नस्ल (Sirohi Breed) की बकरियों से ये मुनाफा मिल रहा है यही वजह है कि आज छोटे खेतों से लेकर बड़े फार्म तक, हर जगह इस नस्ल की बकरियों की धूम मची हुई है. साथ ही यह बकरी किसानों की पहली पसंद बन गई है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह नस्ल ताकतवर होने के साथ-साथ जल्दी बढ़ने वाली होती है. औसतन एक बकरे का वजन 50 से 60 किलो तक पहुंच जाता है. अच्छी बात ये है कि ये बकरियां किसी भी मौसम में खुद को आसानी से ढाल लेती हैं, इसलिए इन्हें पालना बेहद आसान होता है.
साल में दो बार बच्चे, अक्सर जुड़वा
इस नस्ल की सबसे बड़ी खासियत है कि ये बकरियां साल में दो बार बच्चे देती हैं और ज्यादातर बार जुड़वा बच्चे ही होते हैं. यानी अगर आपके पास एक बकरी है तो कुछ ही महीनों में उसकी संख्या दोगुनी और फिर चार गुना तक हो सकती है. बस साफ-सफाई और सही आहार देने से ये तेजी से बढ़ती हैं.
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दूध भी देती है और मांस की कीमत भी अच्छी!
जहां कई लोग बकरी पालन सिर्फ मांस के लिए करते हैं, वहीं सिरोही नस्ल दूध के लिए भी फायदेमंद है. एक बकरी रोजाना 1 से डेढ़ लीटर तक दूध देती है, जो प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होता है. इस दूध से घी, पनीर या बच्चों की फीडिंग जैसी चीजें भी बनाई जा सकती हैं.
5 महीने में कैसे होती है तीन गुना कमाई?
अगर कोई किसान 20-25 हजार रुपये में एक अच्छी सिरोही बकरी खरीदता है और उसे संतुलित आहार के साथ पालता है, तो 5 से 6 महीने में उसी बकरी की कीमत 40 से 60 हजार रुपये तक हो जाती है. अगर उस दौरान वह बच्चे भी दे दे तो मुनाफा और तेजी से बढ़ जाता है.
बकरी की खासियत
- 1 बकरी- 25,000 रुपये
- 5 महीने बाद वजन बढ़कर कीमत- 45,000 रुपये
- अगर दो बच्चे दे दे तो हर बच्चा 10-12 हजार का
- यानी कुल कमाई- 65,000 से 70,000 रुपये तक
- यही कारण है कि इसे छोटे किसानों का सबसे आसान बिजनेस कहा जाता है.
कम खर्च और ज्यादा फायदा
सिरोही नस्ल की बकरियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत होती है. इन्हें बीमारियां कम लगती हैं और अगर साफ पानी व हरा चारा मिलता रहे, तो ये लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं. इन्हें पालने में ना ज्यादा जमीन चाहिए और ना ही महंगी मशीनें. थोड़ा सा शेड, सूखी जगह और नियमित टीकाकरण-बस इतना काफी है.