Marigold Flower Farming: त्योहारों का सीजन चल रहा है और इस सीजन में बाजार में फूलों की मांग बढ़ जाती है. यही कारण है कि इस मौसम में किसान फूलों की खेती बड़े पैमाने पर करते है. इन फूलों में सबसे ज्यादा मांग रहती है गेंदे के फूल की जिसका इस्तेमाल हर तरह के आयोजनों में किया जाता है. इसके बड़े, चमकदार और ताजे फूल घर की सजावट को चार चांद लगाते हैं. लेकिन बरसात के बाद मौसम में आने वाली नमी गेंदे की खेती करने वाले किसानों के लिए मुसीबत लेकर आती है. इस मौसम में गेंदे की फसल पर अल्टरनेरिया रोग (Alterneria Disease) का खतरा बढ़ जाता है, जिसका अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो पूरी फसल चौपट हो सकती है. ऐसे में किसान इन 5 टिप्स को फॉलो कर अपनी गेंदे की फसल को बचा सकते हैं.
1- प्रभावित पत्तियों को तुरंत हटाएं
अल्टरनेरिया एक फफूंदजनित रोग (Bacterial Disease) है जो कि हवा और पानी के संपर्क में आने से तेजी से फैलता है. इस कारण से किसानों को सलाह दी जाती है कि उन्हें जैसे ही गेंदे की पत्तियों पर भूरे या काले गोल धब्बे दिखें, वे उन्हें तुरंत हटाकर अलग कर दें. ध्यान रखें कि इन पत्तियों को ऐसे ही खेत में न फेंके बल्कि या तो इन्हें जला दें या फिर किसी गड्ढे में दबा दें.
2- साफ-सफाई का रखें खास खयाल
गेंदे की फसल लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि पौधे बहुत पास में न लगाएं, पौधों के बीच कम से कम 30 से 40 सेंटीमीटर की दूरी रखें. साथ ही समय-समय पर खेत की निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि जमीन में नमी की मात्रा ज्यादा देर तक न रहे. क्योंकि जब गेंदे की पत्तियां नमी से दूर सूखी और खुली हवा के संपर्क में रहेंगी तो उनमें फफूंद लगने का खतरा नहीं रहेगा.
3-दवाओं का छिड़काव है जरूरी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर गेंदे की फसल में अल्टरनेरिया रोग के लक्षण नजर आएं तो उसी समय मैन्कोजेब (Mancozeb) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) जैसी फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें. 2.5 ग्राम दवा को प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल बना लें और हर 7 से 10 दिन में फसल पर इस घोल का छिड़काव करें, खासतौर पर बारिश के बाद.
4- जैविक उपायों का करें इस्तेमाल
गेंदे की फसल को इस रोग के बचान के लिए आप कुछ जैविक तरीकों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए 10 लीटर पानी में 200 से 250 मिलीलीटर नीम अर्क मिलाकर, फसल पर इसका छिड़का करें. साथ ही ट्राइकोडर्मा (Trichoderma) का छिड़काव भी किया जा सकता है. जैविक तरीकों के इस्तेमाल से पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.

गेंदे की पत्तियों पर भूरे धब्बे (Photo Credit- Canva)
5- बार-बार एक ही खेत में न लगाएं फसल
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे बार-बार एक ही खेत में गेंदे की फसल न लगाएं. बल्कि फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं. गेंदे की फसल की कटाई के बाद किसी दूसरी फसल जैसे गेंहू, मटर, मेथी आदि की खेती करें. अगर किसान फूलों की ही खेती करना चाहते हैं तो अन्य तरह के फूलों को लगाएं.
अल्टरनेरिया रोग के लक्षण
अल्टरनेरिया रोग के कुछ लक्षण होते हैं जिनकी पहचान कर किसान समय रहते फसल को सुरक्षित रखने के उपाय कर सकते हैं. इस रोग का लक्षण है कि सबसे पहले पत्तियों पर आक्रमण कर उनपर छोटे-छोटे भूरे या काले गोल धब्बे बनाता है. जो कि बाद में बड़े होकर गोल घेरे जैसे हो जाते हैं. इसके संक्रमण से पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है, साथ ही फूलों की संख्या में भी कमी आ जाती है.