बालियों को फूल लगने से पहले ही नष्ट कर देता है ये रोग, धान फसल के लिए बड़ा खतरा

धान की फसल में रोगों और कीटों का लगना बेहद ही आम बात है, लेकिन किसानों के लिए जरूरी है कि वे फसल बुवाई से पहले इन रोगों और कीटों के बारे में जानकारी जुटा लें ताकि इनके संक्रमण से पहले ही किसान फसल के बचाव के लिए सही इंतजाम कर सकें.

नोएडा | Published: 5 Sep, 2025 | 05:32 PM

भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलों में से एक धान की फसल है, बाजार में हर समय इसकी मांग के कारण किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. ऐसे में इसकी फसल से अच्छा उत्पादन लेना किसानों के लिए बेहद जरूरी होता है. लेकिन धान की फसल में कई बार कुछ कीटों और रोगों की खतरा बढ़ जाता है, जो कि आम बात है. इन्हीं रोगों में से एक है कंडुआ रोग (False Smut). ये रोग धान की फसल में तब लगता है जब बालियों में फूल आने का समय होता है. ये एक फफूंद जनित रोग है और अगर समय रहते इसकी रोकथाम के सही इंतजाम न किए जाए तो ये पूरी फसल को चौपट कर सकता है. इसलिए किसानों के लिए बेहद जरूरी है कि वे समय रहते इस रोग से फसल को बचाएं.

इन लक्षणों से करें रोग की पहचान

कंडुआ रोग के संक्रमण को पहचानने के लिए किसानों को नियमित रूप से धान की फसल की जांच करनी होगी. अगर धान के दानों की जगह पर हरे रंग की गांठ या फिर फफंद नजर आ रही है, साथ ही आगे चलकर अगर ये गांठें पीली, फिर नारंगी और काली हो जाती हैं तो समझ लें कि फसल पर कंडुआ रोग का हमला हो चुका है. बता दें कि, धान की एक बाली में कई-कई दानों पर इसका संक्रमण देखने को मिल सकता है, यही कारण है कि पूरी की पूरी बाली खराब हो जाती है. इस रोग के संक्रमण से न केवल धान की फसल नष्ट होती है बल्कि किसानों के सामने भी गहरा आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है.

Rice Production

कंडुआ रोग से काली पड़ने लगती हैं बालियां (Photo Credit- Canva)

कैसे नुकसान पहुंचाता है कंडुआ रोग

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अगर धान की फसल पर कंडुआ रोग का संक्रमण हो जाता है तो यह रोग फसल का उत्पादन 5 फीसदी से 30 फीसदी तक गिरा सकता है. साथ ही उत्पादन की क्वालिटी पर भी इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा, जिसके कारण किसानों को बाजार में अच्छी कीमत नहीं मिलेगी. ऐसी स्थिति में किसानों को बहुत भारी नुकसान पहुंतचा है और उनकी सारी मेहनत और पूंजि बर्बाद हो जाती है.

बचाव के लिए अपनाएं ये तरीका

धान की फसल को कंडुआ रोग से बचाने के लिए किसान कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर सकते हैं. सबसे पहले किसानों को यही सलाह दी जाती है कि वे फसल की बुवाई से पहले उन्नत, प्रमाणित और रोगमुक्त बीजों का ही चुनाव करें. साथ ही हर साल एक ही खेत में धान की बुवाई न करें. बता दें कि, बेहतर होगा अगर किसान रोग के लक्षण दिखने से पहले या फूल निकलने की अवस्था में ही फसल पर ट्राइकोनाजोल + टेबुकोनाजोल (Tricyclazole + Tebuconazole) जैसे फफूंदनाशी दवाओं का छिड़काव करें.

Published: 5 Sep, 2025 | 05:32 PM