बिहार सरकार देगी 8 लाख से ज्यादा चूजे, गरीब परिवारों को मिलेगा मुर्गी पालन का सुनहरा मौका

बिहार सरकार ने मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए नई योजना शुरू की है. इसके तहत 17,820 परिवारों को 45-45 चूजे सिर्फ 10 रुपये प्रति चूजा दर से मिलेंगे.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 5 Sep, 2025 | 12:41 PM

बिहार सरकार ने राज्य के कमजोर वर्गों को आत्मनिर्भर बनाने और उनकी आय बढ़ाने के लिए एक नई पहल शुरू की है. इसके तहत समेकित मुर्गी विकास योजना के अंतर्गत लाखों चूजों का वितरण अनुदानित दर पर किया जाएगा. खास बात यह है कि इस योजना का फायदा सभी 38 जिलों के लाभुकों को मिलेगा और आवेदन प्रक्रिया ऑफलाइन रखी गई है.

45 चूजे मिलेंगे सिर्फ 450 रुपये में

इस योजना के तहत लाभुक परिवारों को 45 चूजे दिए जाएंगे. सरकार ने प्रति चूजा दर 10 रुपये तय की है. यानी एक लाभुक को कुल 450 रुपये खर्च करने होंगे. बाकी खर्च सरकार खुद वहन करेगी. इतना ही नहीं, चूजों को सुरक्षित रखने के लिए नाइट शेल्टर या केज निर्माण हेतु भी 1000 रुपये का अनुदान मिलेगा. इस तरह एक लाभुक को चूजों और केज दोनों पर कुल 3700 रुपये का लाभ मिलेगा.

8 लाख से ज्यादा चूजों का वितरण

वित्तीय वर्ष 2025–26 के लिए सरकार ने कुल 8,01,900 चूजों के वितरण का लक्ष्य रखा है. यह चूजे 28 दिन के होंगे, जिससे उन्हें पालना आसान रहेगा और मृत्यु दर भी कम होगी. यह योजना कमजोर वर्ग के परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसमें सामान्य, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति-सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया गया है.

आवेदन प्रक्रिया और जरूरी कागजात

इस योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक आवेदकों को विज्ञापन प्रकाशित होने के 30 दिनों के भीतर अपने जिले के जिला पशुपालन कार्यालय में ऑफलाइन आवेदन करना होगा. आवेदन के साथ कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे, जिनमें पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, वोटर आईडी, पैन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र शामिल हैं. वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आवेदकों को जाति प्रमाण पत्र भी देना होगा.

पहले आओ, पहले पाओ का नियम

लाभुकों का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा. यानी जो लोग जल्दी आवेदन करेंगे, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. इस योजना के लिए विभाग ने कुल 17,820 लाभुकों का लक्ष्य तय किया है. इनमें सामान्य वर्ग के लिए 5660, अनुसूचित जाति के लिए 11,060 और अनुसूचित जनजाति के लिए 1100 लाभुक शामिल हैं. विभाग ने साफ किया है कि यह लक्ष्य अस्थायी (टेंटेटिव) है और इसमें बदलाव संभव है.

आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

राज्य सरकार का मानना है कि इस योजना से ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि होगी. मुर्गी पालन न केवल पोषण का साधन है बल्कि रोजगार का अवसर भी देता है. कम लागत में मुर्गी पालन शुरू करके परिवार अंडे और मांस बेचकर अच्छी कमाई कर सकते हैं. साथ ही, सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता से गरीब और कमजोर वर्गों को आर्थिक सुरक्षा भी मिलेगी.

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Published: 5 Sep, 2025 | 12:40 PM

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