सालों से बंद वो मिल जिससे जुड़ी है किसानों के संघर्ष की कहानी, 29 हजार परिवारों से जुड़ा है मामला

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित मुण्डेरवा चीनी मिल की ऐतिहासिक कहानी से हजारों किसानों की संघर्ष की कहानी जुड़ी हुई है. जहां 3 किसानों को मिल खुलवाने के कोशिशों में अपने प्राणों की आहुति तक देनी पड़ गई.

अनुराग कुमार श्रीवास्तव
गोरखपुर | Published: 8 Sep, 2025 | 09:00 AM

बात जब बलिदान की हो तो हम हमेशा हमारे देश के वीर जवानों की बात करते हैं, उनकी शहादत के किस्से आपस में साझा करते हैं. लेकिन कुछ कहानियां ऐसी होती हैं जहां एक आम नागरिक , एक मामूली सा किसान भी अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए अपने जीवन की आहुति दे देता है, और ये उनके बलिदान की ही ताकत होती है कि उनकी मांग के आगे सरकार को झुकना पड़ता है. दऱअसल, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में स्थित मुण्डेरवा चीनी मिल की, जिससे किसानों के संघर्ष और बलिदान की कहानी जुड़ी हुई है. जो कि भारत में हजारों किसानों के जीवन से जुड़ी एक ऐतिहासिक मिसाल है.

1932 में हुई मिल की शुरुआत

साल 1932 में उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में मुण्डेरवा चीनी मिल की स्थापना की गई, जिसे ‘माधो महेश शुगर मिल प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से जाना जाता था. इस मिल से स्ती, संतकबीरनगर और आसपास के किसानों की आमदनी जुड़ी हुई थी. क्योंकि इन जगहों के गन्ना किसान इस मिल में अपना गन्ना बेचते थे. साल 1984 में ये मिल प्रदेश के अधीन आ गई और साल 1989 में सरकार की मदद से इस मिल का विस्तार भी किया गया . लेकिन आगे चलकर साल 1998 में घाटे का हवाला देकर मिल को बंद कर दिया गया. इसके साथ ही बंद हो गई तमाम किसानों की उम्मीदें . बता दें कि, मिल के बंद होने से 700 अस्थायी और 259 स्थायी कर्मचारियों की रोजी रोटी छिन गई.

3 किसानों ने दिया प्राणों का बलिदान

साल 1998 में जब मिल हुई तो किसानों के सामने बहुत बड़ा आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में किसानों ने कई बार मिल खोलने को लेकर प्रदर्शन भी किया लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई. साल 2002, 12 दिसंबर का दिन किसानों ने मिल चालू करने को लेकर मांग करते हुए सड़क और रेलवे ट्रैक जाम कर दिया . बात इतनी बिगड़ी कि पुलिस के साथ टकराव बढ़ता गया और जब हालात हाथ से निकलने लगे तो पुलिस ने गोली चलाई जिसमें तीन किसानों ने अपना जीवन गंवा दिया.

इन तीन किसानों में मंझरिया के बद्री प्रसाद चौधरी, मंगेरा के रहने वाले तिलकराज चौधरी औक मेहड़ा पुरवा के धर्मराज उर्फ जुगानी चौधरी शामिल थे. बता दें कि, इन किसानों की याद में बस्ती जिले के मुंडेरवा तिराहे पर मूर्तियां स्थापित की गईं और हर साल 11 दिसंबर को किसान मेले का भी आयोजन किया जाता है.

Basti, UP News

बस्ती के मुंडेरवा चौक पर शहीद किसानों की मूर्ति

2018 में दोबारा हुआ शिलान्यास

साल 2012 से मिल को दोबारा से शुरू करने की मांग सरकार तक पहुंचती रही, जिसके बाद साल 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक अहम घोषणा की, जिसमें उन्होंने मिल को दोबार से शुरू करने की बात कही, साथी ही मिल को सभी तरह की आधुनिक तकनीकों से भी लैस किया.  इसके बाद साल 2018 में 383 करोड़ रुपये की लागत से नई मिल के निर्माण का शिलान्यास  किया गया और साल 2019 में मिल पूरी तरह से चालू हो गई. बता दें कि, आज के समय में मिल में सल्फर मुक्त चीनी का उत्पादन किया जाता है.

मिल खुलने से किसानों को फायदा

2019 में मिल खुलने के बाद से किसानों में एक बार फिर उम्मीद की किरण जाग गई. इस मिल के दोबारा खुलने के कारण 29 हजार से ज्यादा किसानों को गन्ने की ब्रिकी पर सीधा लाभ मिला. समय पर गन्ना किसानों को भुगतान किया गया जिसके कारण किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई. इसके अलावा स्थानीय लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिले. आज यह मिल न केवल गन्ना उत्पादकों की रीढ़ बनी है, बल्कि पूरे इलाके की आर्थिक तरक्की का प्रतीक बन चुकी है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं. 

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Published: 8 Sep, 2025 | 09:00 AM

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