करेले से कद्दू तक सब्जियों की बीमारियां बताएगा AI टूल, कीटों की पहचान कर भेजेगा अलर्ट

रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने बताया कि एआई आधारित ये नई तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित होगी, उन्होंने आगे बताया कि इस तकनीक को अब ड्रोन और आईओटी उपकरणों से जोड़ने की योजना है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 7 Sep, 2025 | 03:29 PM

सरकार और देशभर के कृषि विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले कृषि वैज्ञानिकों की यही कोशिश रहती है कि वे एक ऐसा शोध, ऐसी तकनीक विकसित करें जिसका फायदा सीधे तौर पर किसानों तक पहुंचे. उनकी कोशिश रहती है उनकी विकसित की गई तकनीक के इस्तेमाल से किसानों को खेती में आने वाली परेशानी और चुनौतियों से निपटने में मदद मिले. अब इसी कड़ी में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से ऐसी स्मार्ट तकनीक विकसित की है जो कि झट से किसानों को फसलों में लगने वाले रोगों के बारे में बता देगी ताकि किसान समय रहते ही अपनी फसल का बचाव कर सकें.

AI टूल करेगा फसल की निगरानी

रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने करेले की पत्तियों में रोगों और पोषक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिए डीप लर्निंग की मदद से एक नया एआई (AI) मॉडल तैयार किया है, जो कि एक वेब एप्लीकेशन है. शोधकर्ताओं ने इस एप्लीकेशन को एग्रीक्योर का नाम दिया है. ये टूल केवल करेला ही नहीं बल्कि करेला, कद्दू समेत कई अन्य फसलों में लगने वाले कीटों की निगरानी बेहतर तरीके से करेगा, ताकि बिना समय गंवाए किसान अपनी फसलों की सुरक्षा के इंतजाम कर लें.

ऐसे काम करेगी एप्लीकेशन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, डील लर्निंग मॉडन पर आधारित ये एआई टूल स्मार्टफोन से ली गई तस्वीरों की मदद से फसल में लगने वाले डाउनी मिल्ड्यू और लीफ स्पॉट जैसे रोगों, जैसिड कीट के प्रकोप और नाइट्रोजन, पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों की कमी के बारे में किसानों को जानकारी देने के साथ ही उन्हें इन समस्याओं का समाधान भी तुंरत बताएगा. बता दें कि, अंतरराष्ट्रीय जेनेटिक इंजीनियरिंग और बायोटेक्नोलॉजी केंद्र, नई दिल्ली की मदद से किया गया ये शोध ‘करंट प्लांट बायोलॉजी’ में भी प्रकाशित हुआ है.

किसानों के लिए होगी वरदान

रोहतक स्थित महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU) के कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने बताया कि एआई आधारित ये नई तकनीक किसानों के लिए वरदान साबित होगी, उन्होंने आगे बताया कि इस तकनीक को अब ड्रोन और आईओटी उपकरणों से जोड़ने की योजना है, ताकि इसकी मदद से बड़े पैमाने पर फसलों की निगरानी की जा सके. बता दें कि, अब इस तकनीक को ऑफलाइन इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाएगा. ताकि सब्जी फसलों के साथ-साथ अनाज, दालों और फलों के साथ भी किया जा सके.  एमडीयू के शोधकर्ताओं द्वारा बनाई गई ये नई तकनीक न केवल किसानों को बल्कि देश को भी एक नई दिशा की तरफ लेकर जाएगी.

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