Haryana news: उत्तर-पश्चिम भारत में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने बड़े हिस्से की खेती को डुबो दिया है. इससे खड़ी फसलें खराब हो गई हैं और किसान भारी नुकसान झेल रहे हैं. हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के कुछ हिस्से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. कई जगहों पर फसलें पानी में डूबी हैं या पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं. ऐसे में किसानों की मदद के लिए करनाल स्थित ICAR-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों ने सलाह जारी की है. ICAR-IARI करनाल के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. शिव के यादव ने कहा है कि किसानों को तुरंत तो बड़ा नुकसान हुआ है, लेकिन अगर समय रहते कदम उठाए जाएं तो लंबे समय का नुकसान कम किया जा सकता है.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि जहां पानी उतर चुका है, वहां किसानों को मिट्टी की जुताई कर के हवा देना चाहिए और जैविक खाद के साथ नाइट्रोजन डालकर मिट्टी की सेहत दोबारा बनानी चाहिए. जहां अब भी पानी जमा है, वहां पंप या नालियों से पानी निकालना जरूरी है. अगर खेत में सिल्ट (कीचड़) जमा हो गई है, तो हालात सुधरने के बाद मिट्टी की सफाई और नई बुआई करनी होगी.
खराब भूसे को ऐसे करें इस्तेमाल
डॉ. शिव के यादव ने बाढ़ के बाद की फसल संभाल (पोस्ट-हार्वेस्ट हैंडलिंग) को भी बेहद जरूरी बताया. उन्होंने कहा कि किसान जो धान, मक्का या फल बचा पाए हैं, उन्हें तिरपाल पर ऊंचे प्लेटफॉर्म पर सुखाएं, ताकि सड़ने से बचाया जा सके. जो धान और मक्के का भूसा खराब हो गया है, उसे साइलेंज बनाकर पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
खेत में करें नाइट्रोजन का छिड़काव
उन्होंने यह भी कहा कि इस आपदा ने एक बार फिर दिखा दिया है कि खेती किस तरह मौसम की मार झेल रही है. लंबे समय के लिए समाधान की जरूरत है. फसल के अनुसार किसानों को जल्दी कदम उठाने की सलाह दी गई है. धान के लिए पानी निकासी जरूरी है और नाइट्रोजन व पोटाशियम का छिड़काव करना चाहिए. मक्का उगाने वालों को नाली बनानी चाहिए और स्टेम रोट पर नजर रखनी चाहिए.
बागवानों के लिए खास सलाह
कपास के खेतों में जड़ सड़न और कीटों से बचाव करना जरूरी है. गन्ने में समय पर नाइट्रोजन देना जरूरी है. सब्जी के खेतों में पानी निकासी करें, खराब पौधों को छांटें और सुरक्षा के लिए कीटनाशक छिड़काव करें. इसी तरह बागवानों को कीचड़ हटाना, जल निकासी ठीक करना और जड़ सड़न के लिए फंगीसाइड का इस्तेमाल करना चाहिए.