पशुओं के लिए ताकत का खजाना है नेपियर घास.. दोगुना हो जाएगा गाय-भैंस का दूध, बीमारी भी पास नहीं फटकेगी

अकसर गलत खानपान के कारण पशुओं के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि पशुओं के चारे में कुछ चीजें शामिल की जाएं जो उनके लिए रामबाण का काम करें. 

नोएडा | Published: 7 Sep, 2025 | 01:20 PM

देश के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग अपनी आजीविका के लिए खेतीबाड़ी और पशुपालन पर निर्भर करते हैं. ज्यादातर लोग दुधारू पशुओं को पालते हैं जिनका दूध उनकी कमाई के लिए अच्छा विकल्प होता है. लेकिन कई बार पशुपालकों के सामने अपने पशुओं को लेकर कई चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं. इनमें पशुओं को भूख में कमी आ जाना और दूध उत्पादन कम हो जाना आम बात है. ऐसे में जरूर है कि पशुओं का खास खयाल रखा जाए. बता दें कि, अकसर गलत खानपान के कारण पशुओं के दूध देने की क्षमता कम हो जाती है और उनकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि पशुओं के चारे में कुछ चीजें शामिल की जाएं जो उनके लिए रामबाण का काम करें.

बरसीम से पशुओं का पाचन होगा बेहतर

कई बार गलत  खानपान जैसे बासी या सड़ा-गला खाना खाने के कारण पशुओं का स्वास्थय बिगड़ जाता है, उन्हें पाचन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण पशुओं के दूध देने की क्षमता भी कम होने लगती है. ऐसे में पशुपालक अगर अपने पशु को स्वस्थ्य और उससे अच्छा दूध उत्पादन चाहते हैं तो उसके खाने में बरसीम को शामिल करें. बता दें कि, बरसीम में कैल्शियम और फॉस्फोरस बहुत ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. बरसीम के सेवन से न केवल पशुओं की पाचन क्रिया में सुधार आता है बल्कि हड्डियां भी मजबूत होती हैं. सर्दियों में पशुओं को बरसीम खिलाने से दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होती है.

जिरका से पशुओं को दें पौष्टिक आहार

इंसानों की तरह पशुओं को भी संतुलित और पौष्टिक आहार की जरूरत होती है ताकि उनकी सेहत अच्छी बनी रहे और वे ज्यादा मात्रा में दूध उत्पादन करती रहें. लेकिन कई बार लापरवाही या फिर सही देखभाल ने होने के कारण पशुओं में बीमारियों का संक्रमण हो जाता है, जिससे पशु कमजोर हो जाते हैं. ऐसी स्थिति में पशुपालकों को पशुओं के खाने का खास खयाल रखना चाहिए. बरसीम की तरह ही एक और पौष्टिक चारा है जिरका इसके इस्तेमाल से पशुओं में कैल्शियम फॉस्फोरस की मात्रा बनी रहती है जो कि पशुओं को स्वस्थ्य बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है. किसान चाहें को अक्टूबर से नवंबर के बीच इसकी खेती कर सकते हैं और ध्यान देने वाली बात ये है कि इसकी खेती में बरसीम से कम पानी लगता है.

नेपियर घास से पूरी होगी प्रोटीन की कमी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पशुओं को दिए जाने वाले हरे चारे में सबसे खास होती है नेपियर घास. अगर पशुओं के चारे में नेपियर घास को शामिल कर लिया जाए तो उन्हें भरपूर मात्रा में प्रोटीन और विटामिन मिलेंगे. नेपियर घास के सेवन से पशुओं में दूध उत्पादन की क्षमता का विकास होता है, इसके साथ ही नेपियर घास पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है.

Published: 7 Sep, 2025 | 01:20 PM