जेल का खाना: VIP और आम कैदियों के मेन्यू में बड़ा फर्क, जानिए रोजाना मिलने वाले खाने का सच

अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या हाई-प्रोफाइल यानी वीआईपी कैदियों को खाने-पीने की सुविधाएं सामान्य कैदियों से अलग मिलती हैं. इस सवाल का जवाब थोड़ा दिलचस्प है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 24 Sep, 2025 | 12:54 PM

Prison Food: भारत की जेलें सिर्फ कैदियों को बंद रखने की जगह नहीं हैं, बल्कि यहां उनका खानपान और दिनचर्या भी सख्त नियमों और अनुशासन के तहत तय होता है. अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या हाई-प्रोफाइल यानी वीआईपी कैदियों को खाने-पीने की सुविधाएं सामान्य कैदियों से अलग मिलती हैं. इस सवाल का जवाब थोड़ा दिलचस्प है, क्योंकि कागजों में तो सबके लिए नियम एक जैसे हैं, लेकिन व्यवहार में फर्क देखने को मिलता है.

कैसे तय होता है कैदियों का मेन्यू

देश की हर जेल में कैदियों के लिए एक तय डाइट चार्ट होता है. इसमें सुबह, दोपहर और रात का खाना पहले से निर्धारित रहता है. सामान्य कैदियों को आम तौर पर दाल, रोटी, चावल, सब्जी और कभी-कभी अचार जैसी चीजें दी जाती हैं. रविवार या किसी खास मौके पर राजमा, कढ़ी या हलवा जैसे व्यंजन भी शामिल किए जाते हैं, ताकि कैदियों को थोड़ा बदलाव और राहत महसूस हो सके.

वीआईपी कैदियों के लिए अतिरिक्त ध्यान

जेल मैनुअल के मुताबिक सभी कैदियों को समान खाना मिलना चाहिए, लेकिन हकीकत में वीआईपी कैदियों को अतिरिक्त सुविधाएं दी जाती हैं. सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों के चलते कई बार उन्हें बेहतर क्वालिटी का खाना दिया जाता है. कुछ हाई-प्रोफाइल कैदियों को अंडा, दूध, मक्खन या फलों जैसी पौष्टिक चीजें मिलती हैं. कई मामलों में अदालत या डॉक्टर की सलाह पर घर से बना हुआ खाना लाने की भी अनुमति मिलती है. हालांकि यह व्यवस्था आधिकारिक रूप से “वीआईपी मेन्यू” नहीं कहलाती, बल्कि स्वास्थ्य या सुरक्षा का बहाना देकर दी जाती है.

बीमार और गर्भवती कैदियों के लिए खास डाइट

जेलों में बीमार या गर्भवती कैदियों को भी विशेष ध्यान दिया जाता है. डॉक्टर की सलाह पर उन्हें हल्का और पौष्टिक खाना दिया जाता है, जैसे दूध, अंडा, दलिया या फल. यह सुविधा सिर्फ वीआईपी कैदियों तक सीमित नहीं होती, बल्कि हर जरूरतमंद कैदी को मिलती है.

घर के खाने की मंजूरी

कई बार कैदियों को परिवार द्वारा भेजा गया खाना खाने की अनुमति मिलती है, लेकिन इसके लिए जेल प्रशासन से अनुमति जरूरी होती है. आमतौर पर यह सुविधा खास परिस्थितियों या स्वास्थ्य कारणों के आधार पर दी जाती है. हालांकि वीआईपी कैदियों के मामले में यह छूट ज्यादा आसानी से मिल जाती है.

कुल मिलाकर, कागजों पर सभी कैदी बराबर हैं, लेकिन जेल की दीवारों के भीतर सुविधाओं का फर्क साफ नजर आता है. आम कैदियों को जहां साधारण भोजन से ही गुजारा करना पड़ता है, वहीं वीआईपी कैदियों का थाली में दूध, फल और कभी-कभी घर का बना खाना भी शामिल हो सकता है. 

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