बिजली की कटौती और डीजल की बढ़ती कीमतों से परेशान किसानों के लिए अब उम्मीद की नई किरण है- सौर ऊर्जा. अक्षय ऊर्जा दिवस के मौके पर यह देखना बेहद खास है कि कैसे कुसुम योजना ने खेती की दिशा ही बदल दी है. अब किसान बिजली का इंतजार नहीं करते, बल्कि सूरज की रोशनी से अपने खेतों को सींच रहे हैं. न सिर्फ सिंचाई में आसानी हुई है, बल्कि डीजल का खर्च भी बचा है और आमदनी में भी इज़ाफा हुआ है.
सौर ऊर्जा बनी किसानों की ताकत
जिले के 623 किसान अब खेती के लिए डीजल या बिजली पर निर्भर नहीं हैं. वे कुसुम योजना के तहत मिले सोलर पंप की मदद से अपने खेतों की सिंचाई कर रहे हैं. इससे उन्हें बिजली कटौती से राहत मिली है और डीजल की खपत में भी कमी आई है. सरकार ने किसानों को दो HP से लेकर 10 HP तक की क्षमता वाले एसी और डीसी सोलर पंप उपलब्ध कराए हैं. इससे सिंचाई की लागत घटी है और उत्पादन बढ़ा है.
घटी लागत, बढ़ी आमदनी
कृषि उपनिदेशक सत्येंद्र तिवारी के अनुसार, सोलर पंप की मदद से किसानों की खेती में लागत कम हो गई है, जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. पहले जहां डीजल पर हजारों रुपए खर्च होते थे, अब वही काम मुफ्त सूरज की रोशनी से हो रहा है. किसानों को अब बिना किसी रुकावट के समय पर सिंचाई की सुविधा मिल रही है, जिससे फसलें भी बेहतर हो रही हैं.
वर्षों में कैसे बढ़ा रुझान
सरकार द्वारा 2016-17 में शुरू की गई कुसुम योजना में शुरुआत में कुछ ही किसानों ने हिस्सा लिया था, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव बढ़ा.
- 2016-17: 17 किसान
- 2017-18: 20 किसान
- 2018-19: 13 किसान
- 2019-20: 36 किसान
- 2020-21: 33 किसान
- 2021-22: कोई नहीं
- 2022-23: 205 किसान
- 2023-24: 179 किसान
- 2024-25: अब तक 229 ऑनलाइन आवेदन, 120 किसानों को मिला लाभ
यह आंकड़े दिखाते हैं कि जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ी, वैसे-वैसे किसानों का रुझान भी बढ़ता गया.
कैसे पाएं सोलर पंप का लाभ?
सोलर पंप पाने के लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. चयनित किसानों को टोकन मनी और अंश राशि जमा करनी होती है, जिसके बाद उन्हें सब्सिडी के तहत सोलर पंप मिल जाता है. इस योजना का लक्ष्य किसानों की आय दोगुनी करना और उन्हें बिजली संकट से आज़ादी देना है. सौर ऊर्जा न केवल किसानों के लिए फायदे की बात है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी एक अहम भूमिका निभा रही है.