किसानों ने नहीं जलाई पराली! 93 फीसदी घटे केस.. किसान बोले- अब बताओ प्रदूषण के लिए कौन जिम्मेदार

दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने का कारण किसानों के पराली जलाने को बताया गया, लेकिन सरकार के ताजा आंकड़ों ने साफ कर दिया है कि इस साल सबसे कम पराली जलाई गई है. किसानों ने पूछा है कि दिल्ली की शुद्ध हवा का स्तर तो इस साल भी सबसे खराब स्थिति में है तो यह बताया जाए कि आखिरी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कौन है. क्योंकि, किसान इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Updated On: 2 Dec, 2025 | 05:32 PM

Stubble Burning Cases India 2025: दिल्ली में प्रदूषण के लिए किसानों को जिम्मेदार ठहराने वालों को किसानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया है. पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 2021 की तुलना में 93 फीसदी कमी आई है. सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि हरियाणा और पंजाब के किसानों ने पराली जलाने के मामले उल्लेखनीय रोक लगाई है. इस पर किसान नेताओं ने ऐसे लोगों से सवाल पूछा है कि जब इस साल पराली के सबसे कम मामले आएं तब भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा और एक्यूआई लेवल बहुत गंभीर स्थिति में बना हुआ है. इसके लिए कौन जिम्मेदार है. प्रदूषण के लिए किसान कभी जिम्मेदार नहीं थे.

पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष पराली जलाने की घटनाओं में कमी के साथ ही इस वर्ष धान की कटाई का मौसम समाप्त हो गया है. इसके साथ ही पराली जलाने की घटनाओं को आधिकारिक तौर पर दर्ज करने, उनकी निगरानी और आकलन भी समाप्त हो गया है. धान की पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के समन्वित ढांचे से हाल के वर्षों में इसमें निरंतर कमी आई है.

पंजाब में 93 फीसदी पराली जलाने के मामले घटे

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि वर्ष 2025 में धान की कटाई के मौसम में पराली जलाने की सबसे कम घटना दर्ज की गईं. पंजाब (Punjab Stubble Burning Cases 2025 ) में ऐसी 5,114 घटनाएं दर्ज की गईं, जो वर्ष 2024 की तुलना में 53 प्रतिशत कम है. यह वर्ष 2023 की तुलना में 86 प्रतिशत, 2022 की तुलना में 90 प्रतिशत और वर्ष 2021 की तुलना में 93 प्रतिशत कम रही.

stubble burning cases 2025

देशभर में पराली जलने के मामले.

हरियाणा ने इस साल केवल 662 बार पराली जलाई

हरियाणा में भी बेहतर निगरानी से इस साल केवल 662 पराली जलाने की घटनाएं (Haryana Stubble Burning Cases 2025) हुईं. राज्य में 2024 की तुलना में 53 प्रतिशत, 2023 की तुलना में 71 प्रतिशत, 2022 की तुलना में 81 प्रतिशत और 2021 की तुलना में 91 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई. ये आंकड़े वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की योजनानुसार राज्य-विशिष्ट फसल अवशेष प्रबंधन उपाय शुरू करने के बाद महत्वपूर्ण गिरावट को दर्शाते हैं.

stubble burning cases punjab 2025

पंजाब में बीते 5 साल में पराली जलाने के मामले.

किसानों ने प्रदूषण का दाग हटाने की ठानी और प्रशासन के सहयोग से मिली सफलता

पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटना में कमी किसानों की पराली प्रबंधन के संकल्प और राज्य, जिला-विशिष्ट कार्य योजना कार्यान्वयन के साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की व्यापक तैनाती के कारण संभव हुई है. इसके अलावा, धान की पराली के अन्य उपयोग, बायोमास-आधारित ऊर्जा उत्पादन, औद्योगिक बॉयलरों में इनका उपयोग, बायो-एथेनॉल के उत्पादन, ताप विद्युत संयंत्रों, ईंट भट्टों में जलावन के लिए धान की पराली के अनिवार्य उपयोग और पैकेजिंग तथा विभिन्न अन्य व्यावसायिक इस्तेमाल से भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है.

दिल्ली के गैस चैंबर बनने पर किसानों को दोषी कहने वाली एजेंसियों पर बरसे किसान नेता

भारतीय किसान यूनियन मान के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुणी प्रकाश ने कहा कि दिल्ली के गैस चैंबर बनने और हवा का शुद्ध हवा का स्तर बेहद खराब होने के लिए कई सालों से किसानों को दोषी बताया जाता रहा है. कहा जाता रहा है कि किसानों के पराली जलाने से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण बढ़ रहा है. जबकि, इस साल किसानों ने सबसे कम पराली जलाई है तब भी दिल्ली गैस चैंबर बनी हुई है. उन्होंने कहा कि अब वो एजेंसियां और संस्थाएं कहां गईं जो कहती थीं कि पराली से प्रदूषण बढ़ा है, वो बताएं कि अब कहां से कैसे प्रदूषण बढ़ रहा है.

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Published: 2 Dec, 2025 | 05:26 PM

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